नालंदा दर्पण डेस्क। बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के रहते बिहार में नियोजित शिक्षकों की समस्याएं सुलझने के बजाय उलझती ही जा रही हैं। नियोजित शिक्षक साल 2006 से ही काम कर रहे हैं। जब उन्होंने समान काम के लिए समान ओहदा यानी राज्यकर्मी बनाने की मांग की तो पहले टालमटोल होता रहा।
धरना-प्रदर्शन और पुलिस के लाठी-डंडे खाने के बाद शिक्षकों को सरकार ने राज्यकर्मी बनाने का वचन तो दे दिया, लेकिन केके पाठक की वजह से इसमें सक्षमता परीक्षा पास करने की शर्त जोड़ दी गई। अब सक्षमता परीक्षा की शर्त शिक्षकों के गले की फांस बन गई है। पहले तो वे इसके लिए तैयार ही नहीं थे, इसलिए कि परीक्षा आनलाइन होनी थी। नियोजित शिक्षकों में बड़ी तादाद ऐसी है, जिन्हें कंप्यूटर का ‘क’ भी नहीं मालूम।
पहले तो नियोजित शिक्षक इससे कतराते रहे, लेकिन राज्यकर्मी की सुविधाएं पाने की ललक ने उन्हें परीक्षा देने पर मजबूर कर दिया। शिक्षकों के कंप्यूटर न जानने की समस्या को देखते हुए राज्य सरकार ने आफलाइन एग्जाम का भी विकल्प दे दिया। हालांकि सरकार की सख्ती के कारण पहले ही तकरीबन ढाई लाख शिक्षकों ने आनलाइन परीक्षा के लिए आवेदन कर दिया। जाहिर है कि लगभग साढ़े तीन लाख नियोजित शिक्षकों में बचे लोगों भी आफलाइन परीक्षा से गुजरना पड़ेगा।
केके पाठक के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने यह प्रावधान किया है कि आनलाइन और आफलाइन पांच परीक्षाएं आयोजित होंगी। राज्यकर्मी का दर्जा पाने के लए इनमें किसी एक परीक्षा में पास होना अनिवार्य है। बड़ी संख्या में शिक्षकों ने कुछ व्यवधान के बावजूद आनलाइन परीक्षा दी है।
उन्हें अब भरोसा होने लगा था कि यह बाधा पार करते ही वे राज्यकर्मी बन जाएंगे। वे दूसरे सरकारी शिक्षकों की बराबरी में खड़ा हो सकेंगे। उनके वेतन भी आकर्षक होंगे। पर उनके इस सपने पर पानी फिरता नजर आ रहा है। पैरवी और गलत दस्तावेजों के आधार पर उनकी नियुक्ति का भांडा फूटने लगा है। इसके पीछे केके पाठक का ही दिमाग बताया जा रहा है।
आनआफ लाइन परीक्षाओं के लिए आवेदन करते वक्त शिक्षकों को अपने शैक्षणिक-शैक्षिक दस्तावेज कंप्यूटर पर अपलोड करने थे। जिन शिक्षकों ने फर्जीवाड़ा किया था, उन्हें इस बात का अनुमान नहीं ता कि परीक्षा पास कर लेने के बाद इस ओर किसी का ध्यान जाएगा।
इसलिए कि फर्जीवाड़े के बावजूद वे पिछले 18 साल से सुरक्षित नौकरी कर रहे थे। केके पाठक के निर्देश पर जब आवेदनों की स्क्रूटनी हुई तो फर्जीवाड़ा पकड़ में आने लगा। अभी सारे आवेदनों की स्क्रूटनी नहीं हुई है, लेकिन जितने आवेदनों की हो पाई है, उसमें हजार से ऊपर ऐसे शिक्षक हैं, जिनके डाक्यूमेंट्स में फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है। केके पाठक के हाथ यह बड़ा मुद्दा हाथ लग गया है। अब उन्होंने सभी शिक्षकों के आवेदनों की स्क्रूटनी का निर्देश दिया है। इसकी मानिटरिंग वे खुद कर रहे हैं।
जांच में शिक्षकों के शैक्षिक और शैक्षणिक प्रमाणपत्रों के सैकड़ों ऐसे मामले मिले हैं, जिनमें एक ही प्रमाणपत्र पर कई-कई जगहों पर शिक्षकों की नियुक्ति हुई है। खासकर TET, CTET, B.ED के प्रमाणपत्रों में फर्जीवाड़ा मिला है।
शिक्षा विभाग के मुताबिक जांच की प्रक्रिया अभी जारी है। अभी तक 1200 ऐसे शिक्षकों का पता चला है, जिनके प्रमाणपत्रों में फर्जीवाड़े का संदेह है। यह संख्या अभी और बढ़ सकती है। पहले चरण में जिन शिक्षकों के सर्टिफिकेट पर विभाग को संदेह हुआ है, उन्हें भौतिक सत्यापन के लिए मूल प्रमाणपत्रों के साथ बुलाया गया है। आगे भी यह सिलसिला जारी रहेगा। यानी सरकारी के चक्कर में फर्जी सर्टिफिकेट पर पढ़ा रहे शिक्षकों की नौकरी पर तलवार लटक रही है।
केके पाठक का तेवर इस मामले को लेकर इतना तल्ख है कि शिवरात्रि के अवकाश के दन भी उन्होंने प्रमाणपत्रों की स्क्रूटनी का काम कराया। शिक्षा विभाग ने भौतिक सत्यापन के लिए कमांड एंड कंट्रोल सेंटर बनाया है। कई चरणों में शिक्षकों को बुला कर भौतिक सत्यापन होना है। इसके बाद शिक्षकों में हड़कंप मचा है। जिन शिक्षकों ने सक्षमता परीक्षा के आवेदन से अभी तक परहेज किया है, वे इससे और भयभीत हो गए हैं।
फिलहाल, शिक्षा विभाग और परीक्षा आयोजित करने वाली बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने सक्षमता परीक्षा का परिणाम 23 मार्च को जारी करने की तैयारी में है। दो लाख 21 हजार 255 शिक्षकों ने इसके लिए आवेदन किया है। पहले चरण की परीक्षा हो चुकी है। एससीईआरटी को मूल्कांकन का जिम्मा दिया गया है।
उत्तर पुस्तिका पर किसी भी तरह की आपत्ति के निराकरण के लिए इसे 12 मार्च तक वेबसाइट पर अपलोड किया जाना है। शिक्षक अभ्यर्थी 14 मार्च तक अपनी आपत्ति दर्ज करा सकेंगे। अगले ही दिन यानी 15 मार्च को आपत्तियों का निष्पादन होगा। बिहार स्कूल एग्जामिशेन बोर्ड को मूल्यांकन करने वाली एजेंसी रिजल्ट उपलब्ध करा देगी। उसके बाद बोर्ड 23 मार्च तक नियोजित शिक्षकों का रिजल्ट जारी कर देगा।
इस पूरी प्रक्रिया में उन लोगों की धड़कने तेज हैं, जिन्होंने मुखिया और स्थानीय जन प्रतिनिधियों को पैसे खिलाकर जैसे-तैसे शिक्षक बनने की कोशिश की है। इस प्रक्रिया से वैसे नियोजित शिक्षक खुश बताए जा रहे हैं, जो सही प्रमाण-पत्रों और योग्यता के साथ स्कूलों में सेवा दे रहे हैं। (Iinput : NBT)
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