बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। पूरे नगर को व्यवस्थित और आधुनिक तरीके से विकसित करने के सपने के साथ वर्ष 2018 में बिहारशरीफ स्मार्ट सिटी योजना के तहत इसका चयन किया गया था। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए केंद्र सरकार ने करीब 926 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया था। प्रोजेक्ट की मूल समयसीमा 5 साल निर्धारित की गई थी। लेकिन विभिन्न कारणों से इसमें देरी हुई और केंद्र सरकार ने दो बार इसकी अवधि बढ़ाई। इसके बावजूद समयसीमा समाप्त होने के बाद भी आधा से अधिक कार्य अधूरा पड़ा है। अब तक केवल 322 करोड़ रुपये की 36 योजनाएं ही पूरी हो सकी हैं। जबकि बाकी काम की प्रगति बेहद धीमी रही है।
स्मार्ट सिटी योजना के तहत अब तक 02 करोड़ रुपये की लागत से बना इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर, 2.71 करोड़ रुपये से टाउन हॉल का जीर्णोद्धार, 10.57 करोड़ रुपये से निर्मित ई-लाइब्रेरी, 10 करोड़ रुपये की लागत से तालाबों का जीर्णोद्धार, 22 करोड़ रुपये से तैयार फिटनेस पार्क, 51 करोड़ रुपये से बाजार समिति का निर्माण, 18 करोड़ रुपये की लागत से 12 स्कूलों का जीर्णोद्धार जैसे कार्य ही पूरे हुए हैं। इनके अलावा कई अन्य छोटी-बड़ी योजनाएं भी पूरी हुई हैं, लेकिन कुल मिलाकर प्रोजेक्ट का आधा हिस्सा अभी भी अधूरा है।
दरअसल प्रोजेक्ट की शुरुआत से ही इसमें देरी की शिकायतें सामने आती रही हैं। 5 साल की मूल समयसीमा के बाद केंद्र सरकार ने दो बार अवधि विस्तार किया। मार्च 2025 में विभागीय निर्देश जारी होने के बाद भी कोई ठोस प्रगति नहीं हुई। हाल ही में पटना में हुई बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की बैठक में प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंसी (PMC) का कार्यकाल 3 महीने के लिए बढ़ाया गया है। इस आधार पर जून 2025 तक समय विस्तार की संभावना जताई जा रही है। हालांकि मौजूदा स्थिति को देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि 3 महीने में सभी योजनाओं को पूरा करना असंभव-सा लगता है।
वहीं स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में सीवरेज नेटवर्क का काम सबसे बड़ी बाधा बना हुआ है। मेन रोड पर पाइपलाइन बिछाने का कार्य अभी तक शुरू नहीं हो सका है। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) बनकर तैयार हो गया है। लेकिन इसका ट्रायल भी अब तक नहीं हुआ। नई सराय से रेलवे स्टेशन रोड तक का काम भी सीवरेज एजेंसी को सौंपा गया है। लेकिन प्रगति न के बराबर है। ऐसे में 3 महीने में इस महत्वपूर्ण कार्य को पूरा करना लगभग असंभव माना जा रहा है।
जबकि 31 मार्च 2025 को समयसीमा समाप्त होने के बाद भी स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की अवधि बढ़ाने पर कोई आधिकारिक निर्णय नहीं लिया गया है। इस अनिश्चितता के कारण प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारी और कर्मचारी असमंजस में हैं। स्मार्ट सिटी प्रबंधन वर्तमान स्थिति की रिपोर्ट तैयार कर रहा है। जिसके आधार पर आगे की रणनीति तय होगी। अगर जून तक समय बढ़ता है, तो बचे हुए कार्यों को पूरा करने के लिए युद्धस्तर पर प्रयास करना होगा।
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के प्रबंध निदेशक (MD) ने बताया कि 7 अप्रैल 2025 को दिल्ली में स्मार्ट सिटी की एक अहम बैठक होने वाली है। इस बैठक में समय विस्तार और प्रोजेक्ट की प्रगति को लेकर अंतिम निर्णय लिया जा सकता है। स्थानीय लोगों और विशेषज्ञों की नजर इस बैठक पर टिकी है। क्योंकि बिहारशरीफ के स्मार्ट सिटी बनने का सपना अब इस फैसले पर निर्भर करता है।
बहरहाल, बिहारशरीफ को स्मार्ट सिटी बनाने का सपना अधर में लटका हुआ है। 926 करोड़ रुपये के बजट के बावजूद आधे से अधिक कार्य अधूरे हैं और समयसीमा बार-बार बढ़ाने के बाद भी प्रगति संतोषजनक नहीं है। अब सबकी निगाहें दिल्ली की बैठक पर हैं, जहां इस प्रोजेक्ट का भविष्य तय होगा। क्या बिहारशरीफ सचमुच स्मार्ट सिटी बन पाएगा या यह योजना कागजों में ही सिमटकर रह जाएगी? यह सवाल अभी अनुत्तरित है।
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