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    Monday, May 20, 2024
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      राजगीर मलमास मेला सैरात समेत लोकभूमि पर भवन नक्शा पास करने का मामला उजागर

      नालंदा दर्पण डेस्क। नालंदा जिला निगरानी धावादल द्वारा नगर परिषद, राजगीर के विभागीय योजनाओं की जांच की जा रही है। जांच के पहले चरण में निगरानी धावादल द्वारा संबंधित योजनाओं के दस्तावेजों को खंगाल जा रहा है। नगर परिषद के कर्मी द्वारा उन फाइलों और दस्तावेजों को जिला मुख्यालय में ले जाकर जांच दल के समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है।

      इसके साथ ही कई दूसरे गंभीर मुद्दे भी उजागर होने लगे हैं। निगरानी धावादल की जांच से नगर परिषद के कुछ कर्मियों के दिल की धड़कने बढ़ गयी है। तो कुछ की धड़कन बढ़ने वाली है।

      सूत्रों की मानें तो लोकभूमि पर महल निर्माण करने, बिना नक्शा पास किये महल बनाने, लोकभूमि पर भवन बनाने के लिए नगर परिषद द्वारा नक्शा पास करने, अपासी और पइन ( परंपरागत जलस्रोत) में भवन व सड़क बनाने आदि मुद्दे भी खुलकर सामने आने लगे हैं।

      जानकार बताते है कि मलमास मेला सैरात की जमीन पर अनेकों भवन बिना नक्शा पास कराये ही बनाये गये हैं। कुछ भवन निर्माणकर्ता और अतिक्रमणकारियों के खिलाफ नगर परिषद द्वारा म्युनिसिपल एक्ट के उलंघन करने के आरोपों को लेकर सर्टिफिकेट केस किया गया है। लेकिन जिम्मेदार पदाधिकारियों की लापरवाही से अब तक आगे की कार्रवाई नहीं हो रही है।

      सूत्रों की माने तो सरकारी जमीन पर भवन बनाने के लिए नगर परिषद द्वारा आंख मूंद कर नक्शा पास किया गया है। वह म्युनिसिपल एक्ट के अनुकूल नहीं बताया जाता है।

      इतना ही नहीं नगर परिषद द्वारा अपासी (परंपरागत जलस्रोत) पर भी भवन बनाने के लिए नक्शा पास किया गया है। पइनों (जलस्रोतों) को भरकर राजगीर मौजा और पंडितपुर मौजा में सड़क का निर्माण नगर परिषद द्वारा कराने का मामला सामने आया है।

      बिहार सरकार और सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि जलस्रोतों को भरकर किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य नहीं करना है। बावजूद नगर परिषद द्वारा सरकार और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विपरीत राजगीर और पंडितपुर मौजा मे पइन (पारंपरिक जलस्रोत) में ही सड़क का निर्माण कराया गया है। सड़क बनने के बाद पइन का अस्तित्व समाप्त हो गया है। अब उससे किसानों के खेतों में पानी नहीं पहुंच सकेगा।

      इसके साथ ही एक के बाद एक मामले उजागर होने लगे हैं, जो कार्यपालक पदाधिकारी और कनीय अभियंता पर लगाये गये आरोपों को मजबूती प्रदान कर रहा है।

      दूसरी तरफ शहर में यह भी चर्चा होने लगी है कि जिन ठेकेदारों के द्वारा नगर परिषद के विभागीय योजनाओं की जांच कराने की मांग की गयी है। उन ठेकेदारों के द्वारा पहले कराये गये योजनाओं की गुणवत्ता की जांच भी आवश्यक है। विभागीय योजनाओं के साथ शिकायतकर्ता ठेकेदारों के योजनाओं की जांच होने से दोनों पक्षों की असलियत खुलकर सामने आ सकती है।

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