बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के केन्द्रीय रेल मंत्री रहते हुए दनियावां-बिहारशरीफ-शेखपुरा रेल लाइन निर्माण की स्वीकृति दी थी और इस रेल लाइन का निर्माण कार्य उनके कार्यकाल में हीं शुरू हुआ था, लेकिन दुखद बात यह रही कि अभी तक यह रेल मार्ग पूरी तरह नहीं बन सका है। बीच के एक खंड में पिछले कुछ वर्षों से रेल परिचालन शुरू हो गया है, लेकिन इस रेलखंड पर ट्रेन चलना और न चलना कोई मायने नहीं रखता है।
हकीकत यह है कि आम जनों के लिए यह ट्रेन उपयोगी नहीं है। इसकी वजह यह है कि यह किसी महत्वपूर्ण स्टेशन को नहीं जोड़ती उलटे इसकी समय सारणी ऐसी है कि यह ट्रेन चार घंटे में अपने गंतव्य तक पहुंचती है।
दनियावां रेललाइन के बीच दनियावां-बिहारशरीफ खंड चालू हो गया। हालांकि हाल के दिनों में बिहारशरीफ-अस्थावां के बीच भी और से बिहारशरीफ के बीच यह ट्रेन रेललाइन चालू है।
यह अलग बात है कि इसमें ट्रेनों का परिचालन नहीं होता है, लेकिन बिहारशरीफ दनियावां रेलखंड के बीच एक सवारी गाड़ी चलाई गयी है, जिसे बिहारशरीफ से आगे राजगीर तक और दनियावां के आगे फतुहा तक जोड़ी गयी है।
राजगीर से बिहारशरीफ के बीच यह ट्रेन उपयोगी है, लेकिन बिहारशरीफ से फतुहा जाने का लोगों का कोई खास वजह नहीं है। यही कारण है कि लगातार इस ट्रेन को फतुहा से विस्तारित कर पटना तक चलाने की मांग वर्षों से उठ रही है, जो अभी तक पूरा नहीं हुआ है।
राजगीर से फतुहा के बीच 63329 नंबर की एक मेमू ट्रेन चलती है लेकिन 72 किलोमीटर की दूरी तय करने में इस ट्रेन को आधिकारिक तौर पर 3 घंटे 50 मिनट लगते है। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि चार घंटे में भी यह ट्रेन गंतव्य तक नहीं पहुंच पाती है।
राजगीर और दनियावां के बीच यह सवारी गाड़ी 24 स्टेशनों पर रूकती है और अधिकतम दो मिनट का इसका स्टॉपेज भी है। राजगीर से प्रातः 06:30 बजे खुलकर पूर्वाह्न 10:30 बजे फतुहा पहुंचने का समय है बिहारशरीफ से दनियावां के बीच सोहसराय हॉल्ट, देकपुरा हॉल्ट, नूरसराय हॉल्ट बढ़ौना हॉल्ट, चंडी हॉल्ट, रूखाई हॉल्ट, लच्छु बिगहा हॉल्ट, सुल्तानपुर ग्राम दनियावां तथा दनियावां बाजार रेलवे स्टेशन पर यह ट्रेन रूकती है।
लोगों की मांग के अनुसार अगर इस ट्रेन को इसी मार्ग से फतुहा के बजाय पटना तक चलाया जाय तो निश्चित तौर पर यात्रियों की संख्या बढ़ेगी। लोगों को सुविधाएं होगी और रेलवे को भी आय बढ़ेगा।
सूत्रों की मानें तो अभी तक इस रेलवे लाइन के कई स्टेशनों पर प्रतिदिन टिकट नहीं कटता। चर्चा तो यह भी है कि वहां पदस्थापित कर्मी अपनी नौकरी बचाने के लिए अपनी जेब से टिकट कटाकर यह दिखाने का काम करता है कि टिकट कटा है।
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