बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिला में अपराधिक मामले से जुड़ने वाले किशोरों की गतिविधियों पर नजर रखने की कोई व्यवस्था नहीं है। प्रतिदिन औसतन दो नाबालिग किसी न किसी रूप से अपराधिक गतिविधियों में संलिप्त हो रहे हैं।
गत पांच वर्षों में छोटी-मोटी चोरी, शराब सप्लाई, रोड रॉबरी, डकैती से लेकर हत्या जैसे अपराध में किशोरों का झुकाव तेजी से बढ़ा है। नतीजतन जिले के जेजेबी (किशोर न्याय परिषद) में लगातार विधि विरूद्ध किशोरों से जुड़े मामले की फाइलें मोटी होती जा रही है।
औसतन हरेक माह 100 विधि विरूद्ध किशोर के केस जिला किशोर न्याय परिषद (जेजेबी) में सुनवाई के लिए आ रहे हैं। एक बहुत बड़ा माफियाओं द्वारा जिले के नाबालिक किशोरों से छोटी-मोटी चोरी, डकैती, रोड रॉबरी, छिनतई, शराब सप्लाई से लेकर हत्या जैसे कार्य करवाने में जुटा है।
यहीं कारण है कि 20 प्रतिशत ऐसे विधि विरूद्ध किशोर होते हैं, जो अलग-अलग थानों में कई अपराधिक गतिविधियों में शामिल होते हैं। जेजेबी में आने वाले मामले में 20 से 30 प्रतिशत किशोर की संलिप्ता शराब सप्लाई, चोरी, डकैती, छिनतई जैसे अपराध में होता है।
फिलहाल प्रत्येक माह औसतन 100 मामले आ रहे हैं और 30 से 40 मामले का निष्पादन हो रहे हैं। शेष मामले पेडिंग की सूची में शामिल हो रहे हैं। अक्टूबर माह में विभाग को भेजी गयी रिपोर्ट के अनुसार 1479 मामले जेजेबी में पेडिंग सूची में थे।
नालंदा जिले में अपराधिक ममाले से जुड़े किशोरों की गतिविधियों पर नजर रखने की कोई व्यवस्था नहीं है। सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर कोई भी एनजीओ विधि विरूद्ध किशोरों के क्रियाकलाप को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सूचीबद्ध नहीं कर रही है।
यहीं कारण है कि माफियाओं के चंगुल में फंस कर यहां के किशोरों का भविष्य बर्बाद हो रहा है। नाबालिक किशोरों को जेजेबी के माध्यम से छोटी-मोटी अपराध के लिए आसानी से कानूनी लाभ मिल जाता है। जघन्य अपराध में भी व्यस्कों की अपेक्षा आसानी से बेल मिल जाता है और हल्की कानूनी दंड में मुक्ति मिल जाती है।
इसका लाभ कुछ तेज-तरार माफिया उठा रहे हैं। कुछ माफिया लोग आर्थिक रूप से कमजोर, मजबूर किशोरों को अपराध में शामिल कर रहे हैं। स्कूली बच्चों को भी उन्हें मोबाइल, बाइक आदि का लोभ देकर आसानी से अपराध की दुनियां में ला रहे हैं।
नालंदा जेजेबी के अभियोजन पदाधिकारी कहते हैं कि फिलहाल जिले में आपराधिक मामले से जुड़े किशोरों की गतिविधियों पर नजर रखने की कोई व्यवस्था नहीं है। हालांकि जेजेबी एक्ट के तहत थाना स्तर पर इसका प्रावधान है।
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