नालंदा दर्पण डेस्क। आधुनिक दौर में बदलती जीवनशैली और सुख सुविधा की चाह में नई उम्र के लड़के अपराध की तरफ कदम बढ़ा रहें हैं। माता पिता और परिवार के सपने को चकनाचूर कर शानो-शौकत की चाह में युवा अपराध की डगर पर चल पड़े हैं।कोई चोरी कर रहा है,तो कोई लूटपाट तो कोई चोरी का रास्ता पकड़ते चलें जा रहें हैं।
चंडी के नगर पंचायत और अन्य कस्बों में गांजा,भांग, यहां तक कि अफीम जैसे नशे की गिरफ्त में फंसे हुए हैं। नशे के विकल्प के तौर पर एक समय नशीली सूई और दवाईयों का प्रयोग किया जाता था। लेकिन वह मंहगे और सर्वसुलभ नहीं होने की वजह से नशे का विकल्प बदलते रहा है।
अब बानफिक्स, सनफिक्स, सएलूशन, व्हाइटनर,थीनर, फेवीक्विक जैसे विकल्प नशे के रूप में धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं। चंडी के बाजारों में इन सामानों की मांग में महीनों से अचानक उछाल आ गई है। दुकानदार धड़ल्ले से ऐसे उत्पाद को बेच रहे हैं।
हम सब जानते हैं कि शरीर के दर्द और मोच के लिए आयोडेक्स का इस्तेमाल रामबाण औषधि के रूप में जाना जाता है। लेकिन अब इसका इस्तेमाल धड़ल्ले से नशे के लिए किया जा रहा है। टीवी पर ‘आयोडेक्स’ विज्ञापन की पंच लाइन हुआ करती थी,’ आयोडेक्स मलिए,काम पर चलिए।’
लेकिन चंडी के नशाखोरों ने आयोडेक्स के पंच लाइन को बदल कर रख दिया है,अब कहा जा रहा है,’आयोडेक्स’ चाटिए और नशे में डूब जाइए।’
हम बस जानते हैं कि सनफिक्स, बानफिक्स का इस्तेमाल वस्तुओं को जोड़ने में किया जाता है। व्हाइटनर का इस्तेमाल लिखावट की गलतियों को मिटाने में किया जाता है। थीनर का पेंट के घोल को पतला करने के लिए। लेकिन बहुत ही कम उम्र के (10-16) बच्चे इन चीजों का इस्तेमाल चरस, अफीम और कस्तुरी के विकल्प के तौर पर कर रहें हैं।
चंडी नगर पंचायत के चंडी का ऐतिहासिक मैदान, पीडब्ल्यूडी का कैंपस, पुलपर, इंजीनियरिंग रोड, सतनाग मोड़, जैतीपुर सहित अन्य स्थानों पर नशाखोरों की जमात देखी जा रही है।
यहां तक कि चंडी नगर पंचायत का मैदान जो कभी खिलाड़ियों से गुलजार रहता है वह आज कल नशेड़ियों की गिरफ्त में है। यहां तक कि चंडी मैदान में असमाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। आए दिन मैदान में मारपीट की घटनाएं होती रहती है। चंडी में नशाखोरों की वजह से अपराध का ग्राफ भी बढ़ा है।
हमारे सूत्रों का कहना है कि नशाखोरी के शिकार युवावर्ग इसके चलते चोरी,लूट की वारदातों को अंजाम देने में कतई संकोच नहीं कर रहे हैं।
लोगों का कहना है कि नशे के आदी युवा, बच्चे बानफिक्स, सनफिक्स सएलूशन आदि को किसी पॉलिथीन में डाल देते हैं, फिर उसको रगड़ कर मुंह में ढक कर उसका गंध लेते हैं।कहा जाता है कि गंध लेने के कुछ पल बाद ही उनमें नशा छा जाता है।
चंडी के कुछ चिकित्सकों ने नालंदा दर्पण को बताया कि नशे के विकल्प के रूप में जिन वस्तुओं का गलत इस्तेमाल युवा वर्ग नशे के रूप में कर रहे हैं। वह उनके स्वास्थ्य को बर्बाद कर रहा है। इन चीजों के उपयोग से बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है। यह लीवर, फेफड़े, हृदय,पेट और आंत को काफी नुकसान पहुंचाता है। इसके सेवन से कम उम्र में मौत का खतरा रहता है।
चंडी में चिंताजनक बात यह है कि अधिकांश वारदातों को अंजाम देने वाले शातिर बदमाश नहीं, बल्कि नौजवान किशोर है। नशे की बुरी आदत के कारण नौजवान किशोर कम उम्र में ही अपराध की ओर अग्रसर हो रहें हैं।
साथ ही ग़लत संगत भी युवा वर्ग को अपराध की अंधी गली में धकेल रही है। जिसकी बानगी है पिछले कुछ दिनों में हुई चोरी की घटनाएं। चंडी में चोरी की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए कहा जा सकता है कि चंडी में चोरों की बहार है।
पिछले कुछ दिनों में चंडी बाजार में चोरों ने कई जगह सेंधमारी कर मोबाइल , बैट्री, पनीर सहित तीस हजार रुपया की संपत्ति की चोरी कर ली। इस मामले में पीड़ित ने चंडी थाना में लिखित शिकायत दर्ज करवाई है।
पीड़ित भगवानपुर निवासी सीपक कुमार ने बताया कि घर के पास टेम्पो खड़ा कर घर सोने के लिए गए थे। सुबह उठकर टेम्पो के पास गए तो देखा कि टेम्पो के बैट्री चोरी हो गयी।
वही दूसरी चोरी हेलो पॉइंट के दुकान मालिक मनोज कुमार का मोबाइल चोरी हो गया। मनोज आधी रात को दुकान खोलकर शौच करने गए थे। तीसरी चोरी डाकबंगला के पास हुई जहां चोरों ने बैकुंठ प्रसाद के टेम्पो से बैट्री की चोरी कर ली।
चौथी चोरी मिथलेश कुमार के दुकान के बाहर से हुई। जहां से चोरों ने लस्सी, दूध पनीर व दुकान के आगे लगा टोटो गाड़ी की चार्जर चोरी कर ली। इधर चंडी के ग्रामीणों ने बताया कि कम उम्र के लड़के नशे के आदी होते जा रहे हैं। इसी कारण से यहां चोरी की घटना बढ़ रही है।
इन नशाखोरों की हरकत की वजह से चंडी बाजार का तेजी से सामाजिक वातावरण दूषित हो रहा है। फिलहाल इसके दुष्प्रभाव का अंदाजा न तो पुलिस को है और न ही चंडी के लोगों को।
परंतु यह कटु सत्य है कि एक पूरी पीढ़ी आगे चलकर नकारा और अनुत्पादक होने की ओर तेजी से बढ़ रही है। यह जमात कल को अपराध की नई दुनिया का निर्माण कर डालें तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। ऐसे में दरकार है समाज से भटके युवा वर्ग को जागरूक करने की।
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