बिना वैध जन्म प्रमाणपत्र के सरकारी स्कूलों में नहीं होगा नामांकन

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    बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले के सरकारी स्कूलों में जल्दी ही नए सत्र की शुरुआत होने वाली है। नए सत्र के शुरू होने से पहले ही स्कूलों में बच्चों की दाखिला की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

    विशेष रूप से वर्ग 5 के बच्चे वर्ग 6 में तथा वर्ग 8 के बच्चे वर्ग 9 में और दसवीं के छात्र 11वीं कक्षा में प्रवेश लेते हैं। अन्य छात्र-छात्राओं द्वारा भी अलग-अलग वर्गों में सीधे भी नामांकन लिया जाता है।

    हाल ही में स्कूलों में कराई गई विभागीय जांच से यह मामला उजागर हुआ है की बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे भी स्कूलों में नामांकित हैं। जिनकी अनुपस्थिति के कारण नाम काटने के बाद से दोबारा स्कूल नहीं पहुंच रहे हैं।

    इससे अनुमान लगाया गया है कि सरकारी स्कूलों में बड़ी संख्या में फर्जी विद्यार्थी भी नामांकित हैं। जिनके नाम काटने से भी कोई फर्क नहीं पड़ता है। इस आधार पर माध्यमिक शिक्षा निदेशक के द्वारा जिला शिक्षा पदाधिकारी को नए नामांकन में बच्चों को वैध प्रमाण पत्र लेकर ही नामांकन करने का निर्देश दिया गया है, ताकि फर्जी बच्चों का सरकारी स्कूलों में नामांकन को रोका जा सके तथा सरकारी योजनाओं की राशि का दुरुपयोग नहीं हो सके।

    विभागीय निर्देश के आलोक में जिला शिक्षा पदाधिकारी राजकुमार के द्वारा भी सभी स्तर के सरकारी विद्यालयों में छात्र – छात्राओं का नामांकन वैध पत्र लेकर ही किए जाने का निर्देश दिया गया है।

    जोखिम उठाना नहीं चाहते हैं अभिभावकः जिले के बड़ी संख्या में अभिभावक अपने बच्चों को निजी विद्यालयों में पढ़ने के साथ-साथ सरकारी विद्यालयों में भी नामांकन करा देते हैं।

    उनकी मनसा साफ होती है कि यदि निजी विद्यालय में उनके बच्चे का परफॉर्मेंस बेहतर नहीं हुआ तो वे अपने बच्चों को सरकारी विद्यालयों के माध्यम से आगे की पढ़ाई जारी रख सकेंगे। इस उधेड़बुन में बच्चे का नामांकन दोनों तरफ रहता है। इससे सरकारी योजनाओं की राशि का दुरुपयोग होता है।

    सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को बिहार सरकार के द्वारा कई प्रकार की सुविधायें प्रदान की जाती है। ऐसे बच्चे एक तरफ निजी विद्यालयों में मोटी शुल्क देकर पढ़ रहे होते हैं तो दूसरी तरफ सरकारी योजनाओं की राशि भी उठाते रहते हैं।

    नामांकन में इन प्रमाण पत्रों की होगी जरूरतः जन्म प्रमाण पत्र, अस्पताल या मीड वाइफ पंजी अभिलेख, आंगनबाड़ी अभिलेख, आधार कार्ड अथवा माता-पिता की तरफ से दिया गया घोषणा पत्र शामिल है। इन प्रमाण पत्रों के अभाव में सरकारी विद्यालयों में नामांकन नहीं होगा।

    बता दें कि जिले के सरकारी विद्यालयों में पहली कक्षा से 12वीं कक्षा तक लगभग 533131 विद्यार्थी नामांकित है। इनमें से प्रारंभिक विद्यालयों में ही सर्वाधिक 407217 विद्यार्थी नामांकित हैं। जबकि नौवीं कक्षा से 12वीं कक्षा तक में 125914 विद्यार्थी नामांकित हैं। सरकारी विद्यालयों में नामांकित बच्चों में छात्रों से अधिक छात्राओं की ही संख्या है।

    सरकारी स्कूलों में नामांकन पर कहते हैं अधिकारीः  जिले में बड़ी संख्या में ऐसे भी विद्यार्थी हैं, जो वास्तव में पढ़ तो निजी विद्यालय में रहे हैं लेकिन उनका नामांकन सरकारी विद्यालय में भी हुआ रहता है। वे एक ही साथ दोनों तरफ की परीक्षा पास कर रहे होते हैं तथा उनका हर साल अगली कक्षा में प्रोन्नति हो जाता है।

    अनुमान है कि जिला मे पहली कक्षा से लेकर दसवीं कक्षा तक के लगभग 10 फ़ीसदी विद्यार्थियों का नामांकन दोनों जगह होता है। यदि सरकारी तथा निजी विद्यालयों दोनों जगह आधार कार्ड के माध्यम से एडमिशन लिया जाए तो ऐसे बच्चों की आसानी से पहचान हो सकती है।

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