बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले के चंडी मगध महाविद्यालय में प्राचार्य नियुक्ति के बाद भी आरोप-प्रत्यारोप थम नहीं रहा है। जहां पूर्व प्राचार्य नियुक्ति के नियमों का हवाला दे रहें हैं, वहीं वर्तमान प्राचार्य ने कहा है कि पूर्व प्राचार्य उनकी नियुक्ति को पचा नहीं पा रहें हैं। वे मीडिया में उनके पद, कालेज से गायब रहने और नियुक्ति को ग़लत बताकर लोगों के बीच भ्रम फैला रहें हैं।
चंडी मगध महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो शत्रुघ्न प्रसाद ने नालंदा दर्पण को बताया कि पूर्व प्राचार्य उनकी नियुक्ति को लेकर मीडिया तथा समाज में भ्रम फैला रहे हैं। उनका कहना है कि वे कालेज के स्थायी शिक्षक है ही नहीं।
इस संबंध में श्री प्रसाद का कहना है कि मगध विश्वविद्यालय ने उनको तथा कई शिक्षकों को नियुक्ति, वरीयता तथा वेतन निर्धारण के तहत स्थायी नियुक्ति पहले ही हो चुकी है।
प्राचार्य प्रो शत्रुघ्न प्रसाद ने बताया कि उनके संबंध में अफवाह फैलाया जा रहा है कि वे 2003-2008 तक कॉलेज से अनुपस्थित रहे।अगर ऐसा था तो उन्हें उस अवधि का सबसे ज्यादा वेतन कैसे दिया गया। यह एक बड़ा सवाल कॉलेज प्रशासन पर है।
श्री प्रसाद ने कहा कि जो भ्रम जाल फैला रहें हैं उनकी नियुक्ति ही सवालों के घेरे में है। कालेज सेवा आयोग द्वारा 2000 में बिना पद के ही उनकी नियुक्ति कर दी गई।
एक सवाल के जबाब में प्राचार्य ने कहा कि उन्हें अभी एक सप्ताह भी नहीं हुआ है। ऐसे में जरूरी है कि महाविद्यालय का कार्य सुचारू रूप से चलें और सभी का सहयोग मिले। आपसी मतभेद से कालेज पर इसका असर होगा।
उन्होंने कहा कि हम सब को आपसी मतभेद भुलाकर सहमति के साथ उन सब खामियों को दूर कर शिक्षकों और छात्रों के हित के लिए आगे आना होगा। नहीं तो फिर कॉलेज में बदलाव दिखेगा ही नहीं। खींचतान का ग़लत प्रभाव पड़ेगा।
मगध महाविद्यालय के नये प्राचार्य ने सभी शिक्षकों एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों से सहयोग की मांग की है।
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