बेन (रामावतार कुमार)। जुलाई समाप्ति के बाद अगस्त महीने के प्रथम सप्ताह खत्म होने वाले हैं। फिर भी नदियां, पईन व खेत सूखे हैं। खेतों व नदियों की प्यास अबतक नहीं बुझ पाई है। जिससे किसानों के होश उड़े हुए हैं। वहीं पानी का लेबल भी काफी तेजी से नीचे की ओर जा रहा है। जिसके कारण पेयजल की संकट भी उत्पन्न हो गया है।
बेन प्रखंड के ज्यादातर किसानों को पटवन की समस्या है। निजी संसाधन वाले किसानों ने तो ज्यादातर भूमि में धान की रोपाई कर दी है लेकिन पानी का लेबल काफी तेजी से नीचे की ओर जानें से उनके समक्ष भी समस्या खड़ी हो गई है। उनके भी होश उड़ते नजर आ रहे हैं। वर्षा पर आधारित किसानों को तो कहना हीं क्या ? ऐसे लोग तो भगवान भरोसे खेती करते हैं।
किसान सुनील कुमार, कमलेश कुमार, मनोज यादव, अरुण कुमार यादव, विजय यादव कहते हैं कि पिछले कई वर्षों से बारिश कम होने व अतिक्रमण के कारण नदी-नाले व पईन सिकुड़ती जा रही है। ऐसी स्थिति रही तो आने वाले समय में किसानों को खेती छोड़नी पड़ेगी।
किसान बबलू कुमार, रंजीत सिंह, गौतम सिंह, विवेक कुमार कहते हैं कि पूरे जुलाई में एक दिन भी खेती लायक अच्छी बारिश नहीं हुई। सिर्फ बादल उमड़ते घुमड़ते रह गए। किसानों ने यह भी कहा कि मौसम की दगाबाजी के कारण नदियां, पईन व खेत सूखी पड़ी है। और यही वजह है कि धान की उपज पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। जिसका सीधा नुकसान क्षेत्र के किसानों को उठाना पड़ रहा है।
हालात यह है कि पर्याप्त बारिश के अभाव में बेन प्रखंड क्षेत्र में लक्ष्य के सापेक्ष में धान की रोपाई नहीं हो पाई है। जबकि इस वर्ष प्रखंड क्षेत्र में 7 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि पर आच्छादित होने का लक्ष्य है।
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