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    Friday, July 26, 2024
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      राजगीर नगर परिषद में फर्जीवाड़ा की ताजा जांच से मचा हड़कंप

      राजगीर (नालंदा दर्पण)। राजगीर नगर परिषद के बर्खास्त सहायक टैक्स दरोगा एवं लेखापाल प्रमोद कुमार द्वारा किये गये वित्तीय फर्जीवाड़े की जांच जिला स्तरीय जांच कमिटी ने आरंभ कर दी है।

      नालंदा डीएम शशांक शुभंकर द्वारा बिहारशरीफ नगर निगम आयुक्त की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच कमिटी गठित की गया है। नगर आयुक्त के अलावे इस जांच कमिटी में सहायक राज्य कर आयुक्त और सहायक कोषागार पदाधिकारी शामिल हैं।

      डीएम द्वारा जांच दल गठित करने के बाद नगर परिषद में खलबली और हड़कंप मच गया है। जांच के लपेटे में कौन-कौन आ सकते हैं। इसकी कानाफूसी होने लगी है। कुछ लोग कहते हैं कि इस वित्तीय अनियमितता में प्रमोद कुमार अकेले नहीं, बल्कि और लोग हैं।

      बता दें कि पंजाब नेशनल बैंक के नगर परिषद लेखापाल अकाउंट से 14 लख रुपए निकासी करते सहायक टैक्स दरोगा एवं लेखापाल प्रमोद कुमार के पकड़े जाने के बाद जिला प्रशासन हरकत में आ गया है।

      नगर परिषद के फाइनेंशियल कस्टोडियन नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी होते हैं। बावजूद किस परिस्थिति में अथवा किसी उद्देश्य से नगर परिषद लेखापाल के नाम बैंक में अकाउंट खोला गया है। इस आशय की भी जांच, जांच दल द्वारा की जा रही है।

      नगर परिषद के खाता में धन कहां से कब-कब आया और उस अकाउंट से कब-कब धन निकला गया है तथा उस खाते से किस-किस को राशि स्थानांतरित किया गया है। इस बिन्दु पर भी जांच की जा रही है।

      चर्चा है कि नगर परिषद लेखापाल के अकाउंट से कुछ लोगों को खाते में भी धन स्थानांतरित किए गए हैं। यदि यह सत्य है तो किस काम के लिए किसको कितना धन स्थानांतरित किया गया है। इसकी भी पड़ताल की जायेगी। यह तो जांच पदाधिकारी ही बता सकते हैं।

      बताया जाता है कि डीएम द्वारा गठित जांच दल द्वारा नगर परिषद के बर्खास्त सहायक टैक्स दरोगा एवं लेखापाल प्रमोद कुमार के पैन कार्ड से जुड़े सभी खातों की जांच की जा रही है। प्रमोद कुमार के पैन नंबर से किस किस बैंक में कितने खाते का संचालन किया जा रहा है। उन खातों में कब-कब कितना धन जमा निकासी किया गया है। उन खातों से किन-किन लोगों को धन स्थानांतरित किया गया है।

      फिलहाल जांच दल सभी बिंदुओं पर पड़ताल कर रही है। मामले की गहराई और ईमानदारी से जांच हुई तो इस वित्तीय घोटाले की जांच की आंच के दायरे में कई वार्ड पार्षद एवं अन्य आ सकते है। वहीं तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी की भी मिलिभगत उजागर होनी तय है।

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