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    Friday, November 22, 2024
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      केके पाठक के जाने बाद बेपटरी हुई स्कूली शिक्षा व्यवस्था, जानें एस. सिद्धार्थ के नए आदेश

      बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के पद से हटते ही नालंदा जिले में भी शिक्षा व्यवस्था फिर से बेपटरी हेने लगे हैं। शिक्षक और विभागीय अफसरों में कोई भय नहीं रह गया है। सभी स्तर पर लापरवाही बढ़ गई है। आदेश तो निर्गत किए जाते हैं, लेकिन उसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा रहा है। 

      इसी बीच शिक्षा विभाग के वर्तमान अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ के आदेश के आलोक में जिले में अवस्थित सभी सरकारी प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक स्कूलों के नियमित निरीक्षण के लिए उप विकास आयुक्त तथा जिला शिक्षा पदाधिकारी के द्वारा निरीक्षण अफसरों की पूरी टीम तैयार की गई है। इससे सभी स्तर के सरकारी स्कूलों पर शिकंजा और कसने की उम्मीद बढ़ गई है।

      शिक्षा विभाग के द्वारा जिले के 2445 स्कूलों के निरीक्षण के लिए जिला स्तर से लेकर प्रखंड स्तर तक के निरीक्षी अफसरों की स्कूल तैनाती कर दी गई है। निरीक्षी अफसरों के दल में शिक्षा विभाग के सभी कार्यालयों तथा शाखाओं में पदस्थापित सभी पदाधिकारियों एवं कर्मियों तथा जिला स्तरीय अन्य विभाग के पर्यवेक्षीय पदाधिकारियों को स्कूल आवंटित करते हुए रोस्टर तैयार किया गया है।

      सभी निरीक्षण अफसरों को विभागीय निर्देश का अक्षरशः अनुपालन करते हुए स्कूलों का निरीक्षण कराना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है। रोस्टर में नामित पदाधिकारी अथवा कर्मी का यदि स्थानान्तरण या प्रतिनियोजन अन्यत्र हो जाने की स्थिति में उसके स्थान पर दूसरे व्यक्ति को संबंधित स्कूलों का निरीक्षण करने के लिए कार्यादेश निर्गत करने के लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी नालंदा को प्राधिकृत किया गया है।

      विभाग से प्राप्त बिंदुओं पर जांच करने का आदेशः जिले के स्कूल निरीक्षी अफसरों व कर्मियों को शिक्षा विभाग के द्वारा एक छपी छपाई निरीक्षी पुस्तिका उपलब्ध कराई गई है। निरीक्षी अफसरों को इसमें प्रदर्शित बिंदुओं पर आवश्यक रूप से जांच करनी है।

      इसके अतिरिक्त स्कूल में पहुंचने वाले निरीक्षी अफसर अपनी सूझबूझ से स्कूल के बेहतरी के लिए अन्य आवश्यक बिंदुओं का भी अवलोकन कर सकते हैं। विशेष रूप से छात्र शिक्षकों को निर्धारित समय पर स्कूल में उपस्थित होना, स्कूल की साफ सफाई, वर्ग संचालन, मध्यान्ह भोजन योजना, शिक्षकों के द्वारा पठन-पाठन से संबंधित किए जा रहे विभिन्न कार्यों, परीक्षा, उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन से संबंधित दस्तावेजों आदि का निरीक्षण किया जाएगा।

      निरीक्षण रोस्टर में प्रखंड स्तर तक के अफसर और कर्मी शामिलः जिला शिक्षा कार्यालय के द्वारा स्कूलों के निरीक्षण के लिए तैयार किए गए रोस्टर में शिक्षा विभाग से लेकर अन्य विभागों तक के अफसरों तथा कर्मियों को शामिल किया गया है।

      इस रोस्टर में जिला शिक्षा पदाधिकारी से लेकर जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, कार्यक्रम पदाधिकारी तथा प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के नाम शामिल है। इसी प्रकार आईसीडीएस के सीडीपीओ से लेकर महिला पर्यवेक्षाका तक स्कूल निरीक्षण का कार्य करेंगी।

      स्कूल निरीक्षण करने वाले अफसरों तथा कर्मियों में बीआरपी के साथ-साथ विभिन्न विभागों के बीपीएम, कंप्यूटर ऑपरेटर, प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी, पंचायत रोजगार सेवक तथा केआरपी के नाम शामिल है। विभाग के द्वारा सभी को स्कूल आवंटित कर दिया गया है। इससे सरकारी स्कूलों की शैक्षणिक व्यवस्था सुदृढ़ होने की उम्मीद बनी है।

      4 COMMENTS

      1. k k Pathak ya S सिद्धार्थ को शिक्षा व्यवस्था में सुधार करनेवाला बता रहें हैं जबकि सच्चाई तो ये है कि इन दोनों की नीतियां केवल और केवल शिक्षकों को परेशान करना रहा है।इन दोनों के आदेशों और निर्देशों ने बिहार की शिक्षा व्यवस्था को पहले से भी बदतर बना दिया है।इन्हें जमीनी हकीकत का न तो पता है और न इन्हें उसकी पर्व है।शिक्षकों को ही सारी अव्यवस्था का केंद्र मान लिया गया है।पाठक जी के समय जहां खुलकर भ्रष्टाचार हुआ,वहीं इनके समय में भी स्थिति लगभग वही है।अभिभावकों पर सहयोग करने,पंचायती राज में शिक्षा विभाग को दे देने के बावजूद शिक्षा व्यवस्था में उनकी भागीदारी और जवाबदेही तय करने पर कोई जोर नहीं है।e शिक्षाकोश par उपस्थिति दर्ज करने में भी शिक्षकों का समय जाया हो रहा है।कभी कभी तो ये ऐप नकारा साबित हो रहा है। इतिहास गवाह है कि जबसे बिहार शिक्षा परियोजना परिषद का गठन हुआ है,शिक्षा का स्तर उसके अव्यवहारिक कार्यक्रमों के कारण लगातार gart me giri है।पाठक जी और सिद्धार्थ जी की नीतियां भी वैसी ही हैं।ये लोग एकपक्षीय सोच वाले और शिक्षकों को मानसिक परेशानी देनेवाले हैं।इनकी नीतियों से वही शिक्षक अधिक परेशान हैं जो काम करते हैं या करना चाहते हैं।आदेश देते समय या कार्यक्रम बनाते समय इसका ध्यान बिल्कुल नहीं रखा जाता की विद्यालयों में आवश्यक शिक्षक संख्या या सुविधाएं उपलब्ध हैं या नहीं।विद्यालय की समय सारणी भी अव्यवहारिक बनाया जाता है।

      2. हाय शिक्षा तेरी यही कहानी। न तो शिक्षक भरोसेमंद और न अधिकारी। विश्वास हटना अर्थात मंत्रालय से लेकर विद्यालय स्तर तक शिक्षा तंत्र संक्रमण का शिकार हो गया है। भ्रष्ट तंत्र के लोग शिक्षा तंत्र का निरीक्षण करने की जरूरत पड़ रही है।

      3. Teacher teacher ki duty ke liye nahi walki subah 8.40 AM se 4.45 PM ka chowkidar Bana diya hai, quality of education se kuchh Lena Dena nahi hai, bhag bharose education department hai jaha na koi tender na koi rule loot sako Jo loot lo.

      4. शिक्षकों पे थोपा जाने वाला हर तुगलकी फरमान नीतीश के कब्र की आख़िरी कील साबित होगी

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