नालंदा दर्पण डेस्क। आयुष्मान भारत योजना के तहत नालंदा जिले में अब तक लक्ष्य के अनुरूप गोल्डेन कार्ड नहीं बन सका है। कार्ड बनाने की गति काफी धीमी है। हालांकि इस कार्य में गति लाने के उद्देश्य से इस वर्ष मार्च महीने में विशेष अभियान चलाया गया। जिसमें कुछ गति पकड़ी। बावजूद अभी भी कार्ड बनाने का कार्य लक्ष्य से काफी पीछे है।
इस जिले में अब तक करीब नौ लाख लाभुकों का ही कार्ड बन सका है। इस कार्ड पर सलाना एक लाभुक परिवार आयुष्मान भारत को पांच लाख रुपये तक के इलाज करने की सुविधा उपलब्ध है।
आयुष्मान भारत योजना से पंजीकृत निजी क्लिनिकों में इलाज की सुविधा आयुष्मान भारत योजना के तहत पंजीकृत निजी अस्पतालों व क्लिनिकों में मरीजों के इलाज की सुविधा प्रदान है। इच्छुक रोगी ऐसे क्लीनिकों में भी जाकर अपनी बीमारियों का सहज रूप से इलाज करा सकते हैं।
करीब छह लाख गोल्डेन कार्ड अब तक लोग घर बैठे भी योजना के सरकार की ओर से मार्च महीने में गोल्डेन कार्ड बनाने के लिए सघन रूप से विशेष अभियान चलाया गया था। राशन दुकानों पर भी कार्ड बनाने का कार्य भी किया गया। जबकि सदर अस्पताल से लेकर अनुमंडलीय अस्पतालों में भी कार्ड बनाने का कार्य किया।
आयुष्मान भारत योजना के तहत नालंदा जिले में लगभग 22 लाख 61 हजार लाभुकों को कार्ड बनाने का विभागीय लक्ष्य है। कहा जा सकता है कि कार्ड बनाने के लक्ष्य से अभी काफी पीछे है।
इस कार्ड पर जिले के सदर अस्पताल से लेकर अनुमंडलीय, रेफरल व पीएचसी तक भी इलाज की सुविधाएं उपलब्ध हैं। इसके अलावा जिले के 11 निजी क्लीनिकों में आयुष्मान योजना के तहत चिकित्सा सेवा उपलब्ध हैं।
जिला आयुष्मान भारत योजना मानते हैं यह कार्ड बहुत ही उपयोगी है। गोल्डेन कार्ड पर सलाना पांच लाख रूपये तक के इलाज की सुविधा प्रदान की जा रही है। जिले में अब तक करीब नौ लाख लाभुकों को कार्ड उपलब्ध कराया जा चुका है। जो देशभर के योजना से संबंद्ध अस्पतालों में निःशुल्क इलाज करवा सकते हैं।
उनकी मानें तो नालंदा जिले के संबंद्ध निजी अस्पतालों में मरीजों को चिकित्सा सेवा प्रदान की जा रही है। जांच से लेकर विभिन्न रोगों के इलाज की सुविधा का विशेष अभियान में बना लाभ उठा सकते हैं। तहत गोल्डेन कार्ड बना सकते हैं।
इच्छुक रोगी गोल्डेन कार्ड पर अपनी इच्छानुसार जिले के सरकारी अस्पतालों से लेकर संबंद्ध निजी क्लीनिकों में जाकर योजना के तहत दी जाने वाली चिकित्सा सेवा का लाभ उठा सकते हैं। जरूरतमंद जीवनरक्षक दवाइयां भी चिकित्सकों के परामर्श पर उपलब्ध करायी जाती हैं। साथ ही उपलब्ध अन्य चिकित्सीय सेवाएं भी निःशुल्क दी जाती हैं।
पइन उड़ाही में इस्लामपुर का नंबर वन पंचायत बना वेशवक
अब केके पाठक ने लिया सीधे चुनाव आयोग से पंगा
अब सरकारी स्कूलों के कक्षा नौवीं में आसान हुआ नामांकन
गर्मी की छुट्टी में शिक्षकों के साथ बच्चों को भी मिलेगा कड़ा टास्क