नालंदा दर्पण डेस्क। राजगीर वन्यप्राणी सफारी की केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण यानि सेंट्रल जू अथॉरिटी एवल्यूशन (सीजेडए) टीम द्वारा मूल्यांकन एवं व्यवस्थाओं का अध्ययन किया गया। सीजेडए यानि द्वारा गठित दो सदस्यीय टीम द्वारा 28 से 31 दिसंबर तक वन्यप्राणी सफारी का मुआयना और अध्ययन किया गया।
मूल्यांकन दल में शामिल सीजेडए प्रबंधन विशेषज्ञ एंड रिटायर्ड आईएफएस ऑफिसर बिशन सिंह बोनल एवं सीजेडए पॉलिसी असिस्टेंट एंड बॉयोलॉजिस्ट अपूर्वा बांदल द्वारा जू सफारी के फैसिलिटी आदि की रिपोर्ट संग्रह किया गया।
उनके द्वारा ‘सफारी प्रबंधन, वन्यजीव तथा पर्यटक प्रबंधन का मूल्यांकन किया गया। वन्यजीवों के आवास, आहार, पशु चिकित्सा प्रावधान और स्वास्थ्य देखभाल एवं अन्य की बारीकी से अध्ययन किया गया। पर्यटकों की सुविधा, वन अधिकारियों, वनकर्मी, सफारी कर्मी की कार्यशैली का भी दल द्वारा गहन अध्ययन किया गया।
उनके द्वारा शेर, बाघ, तेंदुआ और भालू के पिंजरे की व्यवस्था का भी अवलोकन किया गया। सेल का भी निरीक्षण किया गया। निरीक्षण एवं अध्ययन का विस्तृत मूल्यांकन टीम द्वारा करने के बाद उनके द्वारा सफारी प्रबंधन को अनेकों सुझाव दिये गये। वैधानिक तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण से आधुनिक सुविधाओं, विशेषताओं सहित अन्य सुविधाओं व व्यवस्थाओं को मानक अनुरूप बनाने का आदेश दिया।
सफारी निदेशक हेमंत पाटिल ने बताया कि प्रत्येक दो साल के अंतराल पर जू सफारी का सीजेडए द्वारा रिकग्निशन सर्वे यानि मान्यता अनुसंधान होता है। इसके पूर्व वर्ष 2020 में भी सर्वे किया जा चुका है, वन्यप्राणी सफारी एवं अन्य चिड़ियाघरों को मान्यता देने से पहले सीजेडए द्वारा जारी नियम व शर्तों के अलावे अनेक मानकों का मूल्यांकन किया जाता है। इसके लिए सीजेडए (सेंट्रल जू अथॉरिटी) यानि केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण हर मानकों का अध्ययन करती है।
उन्होंने बताया कि सीजेडए एक वैधानिक निकाय है, जो भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत आता है। भारत में चिड़ियाघरों का नियमित मूल्यांकन करने और यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है। जंगली जानवरों के आवास से संबंधित प्रासंगिक कानून का पालन करते हैं। वे जिन मानकों का मूल्यांकन करते हैं वे चिड़ियाघर नियमों की मान्यता के अंतर्गत आते हैं।
उन्होंने बताया कि जंगली जानवरों के आवास, आहार, पशु चिकित्सा प्रावधान और स्वास्थ्य देखभाल जैसे तत्वों से संबंधित हैं। बिना सीजेडए के मान्यता के कोई भी जू का संचालन नहीं किया जा सकता है। सीजेडए के मानकों के अनुपालन में, विफल सभी सर्कसों से जंगली जानवरों के रखे जाने पर पाबंदी लगा दी गई थी। जिसके चलते आज सर्कसों में जंगली जानवर नजर नहीं आते।
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