नालंदा दर्पण डेस्क। इस भीषण गर्मी में ठंड पानी के लिए मिट्टी के घड़ा लोगों की पसंद बनता जा रहा है। कुछ वर्षों में लोगों में जागरूकता आयी है और मिट्टी की सुराही एवं घड़ों की उपयोगिता में तेजी देखने को मिल रही है।
हालांकि इस साल महंगाई का असर घड़ों की कीमतों पर भी दिखने लगी है। इस साल घड़े के दाम 20 से 30 रुपये बढ़ गये हैं। गर्मी शुरू होते घड़ों की बिक्री भी शुरू हो गई है। गर्मी जैसे-जैसे कहर बरसाना शुरू की है, वैसे-वैसे लोग दुकानों पर पहुंचकर मिट्टी के घड़े खरीदने लगे हैं।
घड़ा पर भी महंगाई की मारः इस बार महंगाई का असर घड़े पर हुआ है। इसकी कीमत 20 से 30 रुपये तक बढ़ गई है। गर्मी में घड़े का ठंडा पानी पीने से नुकसान नहीं होता है। डॉक्टर भी घड़े का ठंडा पानी पीने की सलाह दे रहे हैं।
गत वर्ष के हिसाब से घड़ा बनाने में उपयोगी काली चिकनी मिट्टी की ट्रॉली 500 से 800 रुपये तक महंगी हो गयी है। इससे घड़े के दाम बढ़े हैं। बाजार में 50 से 100 रुपये तक घड़ा दुकानों में उपलब्ध हैं।
टोटी वाला घड़ा 100 से 250 रुपये तक बिक रहा है। सुराही 50 से 140 रुपये तक मिल रहे हैं। होली के बाद से ही सुराही की मांग बढ़ जाती है। घड़ा बनाने वाली काली चिकनी मिट्टी भी अब महंगी हो गई है।
एक साल पहले 1000 रुपये में मिलने वाली एक ट्रॉली मिट्टी अब 1500 से 1800 रुपये में मिल रही है। मिट्टी महंगी होने से घड़ा, सुराही और टोंटी वाले बर्तन भी महंगे हुए हैं।
हर तरफ सजा मिट्टी के बर्तनों का बाजारः जैसे-जैसे वातावरण का तापमान चढ़ने लगा है, वैसे-वैसे मिट्टी के बर्तनों का बाजार भी सजने लगे हैं। शहर के रामचन्द्रपुर,सोठोपुर, मंगलास्थान, एतवारी बाजार, गगनदीवान, चोराबगीचा, बिचली खंदक, अनुराग सिनेमा रोड, कुमार सिनेमा रोड, पुलपर मस्जिद रोड, सोहसराय, अंबेर रोड, शेखाना रोड, नई सराय रोड, स्टेशन रोड आदि क्षेत्रों में मिट्टी के बर्तनों की दुकान दिखने लगी है।
अलग-अलग साइज और दाम वाले मिट्टी के बर्तन लोगों को खूब लुभा रहा है। परिवार और जरूरत के हिसाब से लोग मिट्टी के बर्तन खरीद भी रहे हैं। व बालू वाले बर्तन की भी मांग बढ़ी है। लोग सुराही व घड़ों में पानी भरकर उसे पानी से भिंगा हुआ सूती कपड़ा से ढकते हैं। साथ ही उसे पानी से भिंगा बालू पर रखते हैं, जिससे उसका पानी शीतल और स्वास्थ्यबर्द्धक रहता है।
नल वाली सुराही की बिक्री बढ़ी: शहर के चौक-चौराहों पर मिट्टी के बर्तन खूब बिक रहे हैं। इसमें नल वाली सुराही या टोंटी वाला घड़ा की बिक्री सबसे अधिक है। आम घड़ा व सुराही से पानी निकालने के लिए अलग से एक विशेष प्रकार का बर्तन का जरूरत होता है, जिससे पानी बर्बाद या खराब होने का आशंका बना रहता है, लेकिन नल या टोंटी वाले सुराही या घड़ों में पानी की बचत और सुरक्षित रखने में आसानी होती है।
डॉक्टर भी दे रहे सलाहः चिकित्सकों का भी मानना है कि स्वास्थ्य के लिए मिट्टी के घड़े का पानी उत्तम होता है। फ्रीज के पानी के मुकाबले मटके के पानी की तासीर ज्यादा अच्छी होती है। मटके के पानी का अलग ही स्वाद होता है। मटके का पानी पीने से सर्दी-खांसी की भी शिकायत नहीं होती है।
मिट्टी में कई ऐसे तत्व होते हैं, जो रोगों से लड़ने की क्षमता पैदा करते हैं। इतना ही नहीं इसमें पाये जाने वाले मिनरल्स शरीर को डेटॉल्स करने में मदद करते हैं। ऐसे में फ्रीज की तुलना में सुराही व घड़ा का पानी शरीर के लिए लाभदायक है।
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