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    Wednesday, November 12, 2025
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      Homeगाँव-जवारभीषण गर्मी का दूध उत्पादन पर भारी असर,आयी 24.40 फीसदी गिरावट

      भीषण गर्मी का दूध उत्पादन पर भारी असर,आयी 24.40 फीसदी गिरावट

      नालंदा दर्पण डेस्क। समूचे नालंदा जिले में बढ़ती गर्मी की चपेट में दुधारू मवेशी भी आ गए हैं। बढ़ते तापमान के कारण दुधारू मवेशियों के दूध उत्पादन क्षमता में भारी कमी आयी है। अप्रैल से अब तक 24.40 प्रतिशत दूध के उत्पादन में गिरावट आयी है। 24.22 प्रतिशत दूध संग्रह समिति के पास दूध नहीं पहुंच रही है, जो सीमित निष्क्रिय हो गया है।

      बता दें कि नालंदा जिले 754 दूध संग्रह समिति कार्य ही कार्य कर रही है। प्रतिदिन औसतन 59 हजार 600 मवेशी पालक अपने दूध समितियों के पास पहुंचा रहे हैं। लेकिन बढ़ती गर्मी के कारण इसमें तेजी से गिरावट भी आ रही है। लगातार मवेशी के दूध उत्पादन क्षमता में कमी आने से दुग्ध संग्रह सहयोग समिति के समक्ष भी मुश्किल पैदा हो गया है।

      दूध के अभाव में एकंगरसराय प्रखंड के 89 में से 24, हिलसा के 96 में से 31, थरथरी के 46 में से 11, नूरसराय के 65 में से 10, बिंद के 25 में से 13, सरमेरा के 47 में से 15, हरनौत के 96 में से 47, चंडी के 89 में से 49, नगरनौसा के 56 में से 35 एवं करायपरसुराय के कुल दुग्ध संग्रह सहयोग समिति 30 में से 10 कार्य के करना बंद कर दिया है।

      दूसरी ओर लग्न कारण दूध व दूध से संबंधित उत्पाद में 25 से 30 प्रतिशत की मांग बढ़ गयी है। विवाह शादी में सबसे अधिक दूध, पनीर, लस्सी की डिमांड हैं।

      फिलहाल जिले में पटना, वैशाली, रांची, दिल्ली आदि क्षेत्रों के अलग-अलग डेयरी से दूध व दूध के उत्पाद आपूर्ति की जा रही है। फिर भी कई दूध काउंटर पर शाम को दूध पैकेट नहीं मिल रहे हैं।

      उधर, तेज धूप और बढ़ती तापमान के कारण हरा चारा खेतों से समाप्त हो गया है, जिसका सीधा प्रभाव दुधारू मवेशियों के दूध उत्पादन क्षमता पर पड़ रहा है। साथ ही लग्न के कारण बहुत से मवेशी पालक समिति की जगह सीधे- सीधे शादी-विवाह वाले आयोजनकों के हाथ में अधिक राशि के लोभ में दूध बेच रहे हैं।

      उम्मीद हैं कि आगामी जुलाई माह के अंत तक दूध उत्पादन क्षमता में सुधार होने लगेगी। फिलहाल जिले के छह चिलिंग प्लांट का प्रतिदिन दूध शीतल करने की क्षमता 83 हजार लीटर है, जहां औसतन प्रतिदिन महज 63 हजार पांच सौ लीटर प्रतिदिन ही दूध पहुंच रहा है।

      वहीं दूध अभाव के कारण सरमेरा चिलिंग प्लांट पिछले वर्ष से बंद कर दिया गया है। यहां आने वाले करीब चार हजार लीटर दूध को बरबीघा चिलिंग प्लांट में पहुंचाया 63500 लीटर जा रहा है।

      फिलहाल, दूध उत्पादन की दृष्टि से सबसे बेहतर एरिया थरथरी को माना जा रहा है, जहां डीहा में बीते पांच फरवरी 2024 को 12 हजार लीटर क्षमता वाले चिलिंग प्लांट का उद्घाटन हुआ था, जिसमें प्रतिदिन औसतन 11 से 12 हजार लीटर दूध आ रहा है।

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