राजगीर (नालंदा दर्पण)। प्राकृतिक उर्जा आधारित सोलर सिस्टम लगाकर बिजली के मामले में शैक्षणिक संस्थानों, कार्यालयों और घरों को नेट जीरो यानि कार्बन उत्सर्जन को जीरो करने के लिए देश-प्रदेश में अभियान चलाया जा रहा है। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पीएम सूर्य घर योजना लायी गयी है। लेकिन इस योजना की हवा अभी मगध की ऐतिहासिक राजधानी राजगीर में नहीं पहुंची है।
हालांकि सरकार सोलर एनर्जी सिस्टम को लेकर काफी गंभीर है। सोलर एनर्जी सिस्टम को लगाने वालों को सरकार अनुदान भी दे रही है। बावजूद अब तक यह योजना शैक्षणिक संस्थानों, कार्यालयों और घरों की छतों पर नहीं पहुंच रहा है। शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी कार्यालयों में सोलर एनर्जी सिस्टम लगाने के बाद बिजली बिल केवल कम ही नहीं हो सकता है, बल्कि ग्रीन एनर्जी से सरप्लस बिजली का उत्पादन कर कमाई भी सकते हैं।
नालंदा विश्वविद्यालय और आरडीएच प्लस टू स्कूल, राजगीर को छोड़कर यहां के किसी भी कॉलेज, प्लस टू स्कूल आदि शैक्षणिक संस्थानों में सोलर पैनल सिस्टम नहीं लगाये गये हैं। यही कारण है कि यहां के शैक्षणिक संस्थान बिजली के मामले में आत्मनिर्भर नहीं हैं। यही हाल सरकारी कार्यालयों की है।
आरडीएच प्लस टू स्कूल में पांच किलोवाट का पैनल लगाया गया है। लेकिन यहां कितना बिजली उत्पादन हो रहा है। इसका कोई लेखा जोखा नहीं है। प्रखण्ड कार्यालय, राजगीर में करीब पांच साल पहले सोलर पैनल लगाया गया है। लेकिन अब तक इस सिस्टम को चालू नहीं किया गया है।
सोलर पैनल सिस्टम के प्रति लोगों में अच्छा रुझान नहीं:
सोलर सिस्टम लगाने के प्रति पर्यटक शहर राजगीर में अच्छा रुझान नहीं दिखता है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना का लाभ शहरवासी नहीं उठा रहे हैं, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर चारो तरफ नेट जीरो यानि कार्बन उत्सर्जन को जीरो करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है लेकिन पर्यटक शहर राजगीर के कार्यालयों, शिक्षण संस्थानों, घरों में इसके प्रति कोई रूचि नहीं है।
शैक्षणिक संस्थानों में केवल नालंदा विश्वविद्यालय नेट जीरो और सौर ऊर्जा मामले में सबसे आगे है। प्रखण्ड कार्यालय और प्लस टू स्कूल मेयार में सोलर पैनल सिस्टम लगाया गया है। लेकिन अबतक चालू नहीं किया गया है। निजी मकान में रहने वाले भी अपवाद छोड़कर इसका लाभ नहीं उठा रहे हैं।
बता दें कि सोलर पैनल सिस्टम आवासीय छत पर लगाने के लिए रजिस्ट्रेशन आवश्यक है। सरकार की ओर से इस योजना के लाभुकों को सब्सिडी दी जाती है। इस योजना के तहत तीन किलोवाट के लिए 78 हजार रुपये तक की सब्सिडी है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण की सुरक्षा करना है।
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