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    Friday, July 26, 2024
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      राजगीर नगर परिषद की आधी आबादी गंगाजल और सीवरेज की सुविधा से वंचित

      राजगीर (नालंदा दर्पण)। एक तरफ सरकार आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है, तो दूसरी तरफ नगर परिषद, राजगीर की आधी आबादी नागरिक बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रही है। यहां के वार्डों में सड़क और बिजली तो पहुंच गई है, लेकिन सीवरेज और गंगाजल जैसी सुविधाएं अबतक नहीं पहुंच सकी है।

      शहर के सभी वार्डों के नागरिकों को सीवरेज और गंगाजल जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं को बेसब्री से इंतजार है। विस्तारित क्षेत्र के नागरिक पूछते हैं कि उनके वार्ड में कब पहुंचेगी गंगाजल। इसका माकूल जवाब न तो नगर प्रशासन के पास है और न ही पीएचइडी के पास।

      सीवरेज और गंगाजल से वंचित वार्ड पार्षदों की माने तो नगर परिषद की सामान्य बोर्ड की बैठकों में और कार्यपालक पदाधिकारी के पास अनेकों बार गंगाजल और सीवरेज जैसे महत्वपूर्ण योजना का मुद्दों उठाया गया है। लेकिन रिजल्ट कुछ नहीं निकल रहा है।

      फलस्वरूप उन वार्डों के नागरिक परंपरागत जल स्रोतों से या खुद के बोरिंग से प्यास बुझाने के लिए मजबूर हैं। 78 करोड़ की लागत से पर्यटक शहर राजगीर में दूसरी बार अत्याधुनिक सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण कराया गया है। निर्माण के करीब नौ साल से अधिक हो चुके हैं।

      बावजूद नगर परिषद क्षेत्र के सभी वार्डों के घरों को सीवरेज कनेक्शन से अबतक नहीं जोड़ा गया है। महादेवपुर, सबलपुर, चकपर, मार्क्सवादी नगर, बद्रीपुर, कार्यानन्द नगर, नाहुब, हसनपुर, बेलौआ, नई पोखर, लहुआर, पथरौरा, नोनही, पिलखी, नेकपुर, मोरा नीमापुर, कटारी, तिलैया, बड़हरी, उदयपुर, उजरपुर, राईस पर, मुदफ्फरपुर, सतोखरी, वीरायतन सहित अनेक टोलों मोहल्लों और गांवों में सीवरेज और गंगाजल के पाइप तक नहीं बिछाए गए हैं।

      उन गांवों के नागरिक इन मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। सीवरेज सिस्टम से नहीं जुड़ने के कारण उन वार्डों के लोग खुद द्वारा तैयार शौचालयों का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन गरीब तबके के लोग अभी भी खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हैं।

      जानकार बताते हैं कि नगर परिषद में करोड़ों रुपए की लागत से विकास का ढ़िढोरा पिटा जा रहा है। लेकिन उन वर्गों के गांवों टोलों में विकास खोजने पर भी नहीं मिल रहा है। नगर परिषद क्षेत्र में अनेकों जल मीनार बनाया गया है। लेकिन दो छोड़ किसी जल मीनार से गंगाजल की आपूर्ति नहीं होती है। शहरी क्षेत्र में होने के बावजूद उन वार्डों के नागरिकों को शहरी सुविधाएं नहीं मिल रही है।

      महादेवपुर के शिवकुमार सिंह, कृष्ण नन्दन सिंह, अरबिंद कुमार सिंह, हसनपुर के सुधीर कुमार पटेल, अशोक कुमार हिमांशु, मुकेश पासवान, नाहुब के रामनरेश प्रसाद सिंह, दिनेश प्रसाद, डॉ मिथलेश पाण्डेय, नोनही के एहतेशाम मल्लिक, मुन्ना मल्लिक, मोरा के एसके प्रभाकर, नीमापुर के अरुण कुमार, मुदफ्फरपुर के प्रो ईश्वरी प्रसाद लहुआर के शैलेन्द्र कुमार, अनिता गहलौत, बेलौवा की सावो देवी, सुनील कुमार एवं अन्य ने बताया कि उनके गांवों में सीवरेज की सुविधा अबतक नहीं है।

      यही हाल गंगाजल की है। शहरी क्षेत्र होते हुए भी उनके वार्डों और टोले- मुहल्ले व गांवों में गंगाजल की आपूर्ति नहीं होती है। नागरिकों ने बताया कि उनके गांव लोग आजादी के 75 साल बाद भी पारंपरिक जलस्रोतों और निजी नलकूपों से ही प्यास बुझाते और घरेलू कार्य करते हैं।

      चकपर के सोनी सिंह, निरंजन सिंह, मार्क्सवादी नगर के परमेश्वर प्रसाद एवं अन्य ने बताया कि बिजली और सड़क छोड़कर उनके गांवों में नगर परिषद द्वारा किसी भी प्रकार का विकास कार्य नहीं हुआ है। अरबों खर्च के बाद भी उन वार्डों के नागरिक सीवरेज योजना के लाभ से वंचित हैं।

      नागरिकों ने कहा कि करोड़ों की लागत से कराये जा रहे निर्माण और विकास कार्यों का वरीय अधिकारियों द्वारा भौतिक निरीक्षण किया जाये तो सभी रहस्य खुलकर सामने आ सकते हैं।

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