अन्य
    Saturday, July 27, 2024
    अन्य

      केके पाठक के आदेश से सरकारी स्कूलों में हो रहा कायाकल्प घोटाला

      नालंदा दर्पण डेस्क। बिहार शिक्षा विभाग में मुख्य अपर सचिव केके पाठक के प्रयास से शैक्षणिक सुधार अभियान के तहत स्कूलों में बड़े पैमाने पर संसाधन व सुविधाएं दी जा रही है। स्कूल की सूरत बदलने के लिए विभाग ने खजाना खोल दिया गया है। प्रीफैब स्ट्रक्चर से वर्ग कक्षा की कमी दूर करने के लिए काम चल रहा है। जर्जर भवनों की रिपेयरिंग हो रही है। जहां पेयजल की व्यवस्था नहीं थी, वहां इसकी व्यवस्था हो रही है। स्कूल के रंगरोगन से लेकर बच्चों के बैठने के लिए बेंच-डेस्क उपलब्ध कराया जा रहा है।

      लेकिन नालंदा जिले में संसाधन जुटाने की तेज प्रक्रिया के बीच उन तमाम कार्यों के बीच बड़े पैमाने पर स्कूलों को कायाकल्प करने वाले एजेंसी और वेंडर दोयम दर्जा का सामग्री उपलब्ध कराकर राशि का घोटाला कर रहे है। जिसमें स्कूल से लेकर शिक्षा विभाग तक के अधिकारी भी संलिप्तत हैं।

      जब इसकी तहकीकात की गयी तो पता चला कि बेंच डेस्क के एक सेट के लिए सरकार पांच हजार रुपए देती है, लेकिन स्कूल में बामुश्किल 1500 से 2500 रुपये मूल्य के बेंच-डेस्क उपलब्ध कराया जा रहा है। बाजारों में इस भाव में रंगरोगन कर बेंच डेस्क तैयार मिलता है। जिसकी आंतरिक क्वालिटी काफी घटिया है।

      हालत यह है कि सप्लायर और ठेकेदार अब 1500 रुपये में भी कोती मारना शुरू कर दिया है। कई स्कूलों में तो बेंच-डेस्क ऐसे उपलब्ध कराए गए हैं, जिसपर लकड़ी के पेंट के बजाय होली में प्रयोग किया जाने वाले रंग से रंगाई की गयी है। यही नहीं शीशम के जगह सेमल और अर्जुन तथा लोहे में कम गेज का फ्रेम की आपूर्ति की जा रही है।

      हालांकि शिक्षा विभाग ने हर काम का मूल्य निर्धारित किया हुआ है और यही बेंच डेस्क की योजना विभाग के लिए दुधारू गाय बन गयी है। हालांकि विभाग द्वारा पांच हजार रुपये का बेंच-डेस्क के लिए शीषम का पौआ, पाटी, आम की पटरी का उपयोग किया जाना है, जबकि लोहे के फ्रेम में अच्छी गुणवत्ता का प्लाई जो वाटरप्रूफ होनी चाहिए, लगानी है। लेकिन इसके विपरीत स्कूलों में आपूर्ति हो रहे प्रायः बेंच डेस्क शीशम के बजाय सेमल, अर्जुन, जामुन जैसी लकड़ियों से बने होते है।

      इतना हीं नहीं, पौआ, पाटी से लेकर पटरा तक की, जो स्टैंडर्ड मोटाई तय है। उससे काफी कम मानक का लकड़ी उपयोग हो रहा है। लोहे के मामले में कम गेज का फ्रेम बनाकर लोकल प्लाई उपयोग में लाया जा रहा है।

      खबरों के अनुसार जब प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों द्वारा बेंच-डेस्क की जांच शुरू हुई तो ऐसे कई मामले सामने आये। कई मामले ऐसे भी मिले, जिसमें आपूर्ति के वक्त हीं लकड़ी फटे हुए मिले। हालांकि कई मामले जब उजागर होने लगे तो एजेसियों द्वारा पदाधिकारियों को मैनेज कर लिया गया है।

      हरनौत सवारी डिब्बा मरम्मत कारखाना में ठेका मजदूरों का भारी शोषण

      नटवरलाल निकला राजगीर नगर परिषद का सस्पेंड टैक्स दारोगा

      बिहारशरीफ में ब्राउन शुगर की गिरफ्त में आए एक और युवक की मौत

      ACS केके पाठक के प्रयास से स्कूली शिक्षा में दिख रहा सुधार

      ट्वीटर X से Video Story Reels डाउनलोड करने का आसान तरीका

      LEAVE A REPLY

      Please enter your comment!
      Please enter your name here

      This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

      संबंधित खबर

      error: Content is protected !!