राजगीर (नालंदा दर्पण)। किसी भी सरकार और उसके तंत्र का पहला दायित्व समाज के निचले तबके के लिए रोजी रोजगार की व्यवस्था करना है। लेकिन जब वह खुद रोजी रोटी छीनने की तिकड़म भिड़ाने लगे तो स्थिति काफी गंभीर हो उठती है।
ताजा मामला बिहार के सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा के जिलाधिकारी शशांक शुभंकर से जुड़ा है। जिन्होंने राजकीय राजगीर मलमास मेला के आयोजन के नाम पर रजौली संगत में सैकड़ों फुटपाथी दुकानदारों की कमाई धोखाधड़ी कर छीन ली।
धोखाधड़ी इसलिए कि इन्होंने दुकानदारों से अपील की थी कि वे मेला को देखते हुए अपनी दुकानें अस्थाई रुप से हटा लें, उनके लिए तत्काल वैकल्पिक व्यवस्था कर दी जाएगी और मेला समाप्ति के बाद वे वापस स्थान लौट जाएंगें। लेकिन आज वे दुकानदार कहीं के नहीं रह गए हैं। सारे भुखमरी की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं।
राजगीर नगर परिषद का नकारा प्रशासन उसे लाठी लेकर खदेड़ता फिर रहा है और डीएम साहब भी अपने वादे से मुकर कर अलग राग अलापने में व्यस्त हैं। आप जिन पुटपाथी दुकानदारों के सड़क पर अपनी आवाज बुलंद करते देख रहे हैं, उनकी पीड़ा कोई नहीं सुन रहा है।
यहां के जनप्रतिनिधि के लिए ऐसी समस्याएं कोई मायने नहीं रखती है। जबकि यदि हम अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन नगरी राजगीर की बात करें तो यहाँ सरकारी और सावर्जनिक भूमि पर भूमाफियाओं द्वारा व्यापक पैमान पर अतिक्रमण कर लिया गया है। बड़े-बड़े होटल और मार्केट बना लिए गए हैं। उनकी घेराबंदी कर ली गई है। इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं हैं।
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