बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले में अब नारियल की खेती कराये जाने की व्यारक तैयारी है। अब उद्यान विभाग द्वारा जिले के किसानों के बीच नारियल पौधा वितरण करने की योजना में शामिल किया गया है। इसकी खोती से किसान आर्थिक रूप से संपन्न होंगे।
इसके साथ हीं नारियल के लिए नालंदा के व्यवसायियों को दूसरे प्रदेशों पर आश्रित नहीं रहना होगा। यानी नारियल की खेती हुई तो किसान को भी लाभ होगा और व्यापारियों को भी तैयार की गयी योजना के तहत जिले में 4.5 हेक्टेयर में नारियल की खेती का लक्ष्य रखा गया है। यानी कुल 800 पौधे लगाये जाएंगे। प्रति पौधे की लागत 85 रुपया निर्धारित है। 75 फीसद अनुदान काटकर किसान को एक पौधे के लिए 21.25 पौधे देने होंगे। एक किसान कम से कम पांच तो अधिकतम 712 पौधे ले सकते हैं।
एक हेक्टेयर में नारियल की खेती के लिए 178 पौधे की जरूरत पड़ती है। अच्छी बात यह है कि जिले के जलवायु अनुकूल और किसानों की पसंद के अनुसार पौधे नारियल विकास बोर्ड, पटना (बिहार) मुहैया कराएगा। खास यह भी है कि किसान चाहें तो खेत में पौधे लगाएं या जगह की कमी है तो किचेन गार्डेन में भी पांच दस पौधे लगा सकते हैं।
सालों भर रहती है मांगः
बाजार में नारियल के विभिन्न किस्मों या कहें विभिन्न रूप में धड़ल्ले से उपयोग होता है। कच्चे नारियल को लोग डाभ के रूप में उपयोग करते हैं। फिर सूखा नारियल को ड्राइ फ्रूट के रूप में उपयोग करते है। पर्व त्योहारों में सूखा नारियल का मांग बढ़ता | है। सामान्यतः जिले में डाभ पश्चिम बंगाल से जबकि सूखा नारियल तमिलनाडू, आंध्रप्रदेश और पश्चिम बंगाल से आता है।
नारियल के उपज से मिलेगा कई प्रकार का लाभः
नारियल के वृक्ष का हर भाग उपयोगी होता है। इसके फल का जल प्राकृतिक पेय के रूप में गरी खाने तेल के लिए फल का छिलका एवं रेशा विभिन्न औद्योगिक कार्यों में तथा पत्ते, जलावन, झाडू, छप्पर, खाद तथा लकड़ी फर्नीचर बनाने के काम में आती है नारियल के फल एवं जल में विभिन्न प्रकार के विटामिन, शर्करा एवं खनिज लवण की प्रचूर मात्रा पायी जाती है।
यही कारण है कि नारियल को कल्पवृक्ष कहा जाता है। खास बात यह है कि एक बार नारियल लगा दिया तो 80 वर्षों तक यह उपज देता रहेगा। यानी कि हर बार पूंजी लगाने की आवश्यकता नहीं लेकिन लाभ प्रत्येक साल मिलेगा।
नालंदा की मिट्टी और जलवायु खेती के लिए उपयुक्तः
नारियल की खेती के लिए समशीतोष्ण जलवायु उचित माना गया है। अच्छी फसल के लिए गर्म एवं नम जलवायु उपयुक्त है। खास बात यह है कि वैसे क्षेत्रों में नारियल की खोती बेहतर होगी जहां जलजमाव नहीं होगा। अगर बारिश होती है तो समय से जल का निकास हो जाना चाहिए। बलुआही और दोमट मिट्टी नारियल की खोती के लिए बेहतर होती है और जिले में इसकी उपलब्धता भी है।
ऐसे प्राप्त कर सकते हैं नारियल की खेती पर मिलने वाला सरकारी लाभः
इच्छुक किसान किसान hor ticulture.bihar.gov.in पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं आवेदन के साथ जमीन का रसीद, किसान निबंधन संख्या, पहचान पत्र, पासपोर्ट साइज फोटो आदि कागजात देने होंगे। नारियल की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को पौधा अनुदान पर मिलेगा।
एक पौधे की कीमत 12.25 रुपया किसानों को देना होगा। एक हेक्टेयर में खेती के लिए 178 पौधों की जरूरत होगी। हालांकि पहले फेज में जिले में मात्र 800 नारियल का पौधा लाया जा रहा है। ऐसे में जो पहले आवेदन करेंगे उन्हें हीं यह लाभ मिल सकेगा।
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