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    Monday, May 20, 2024
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      ठगी के यूं नये-नये तरीके इजाद कर रहे हैं साइबर अपराधी  

      आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआइ ने मानव समाज में धीरे-धीरे पैठ बनानी शुरू कर दी है। साइबर ठग भी इसका इस्तेमाल जमकर कर रहे हैं। हाल में एआइ टूल के सहारे ठगी के कई मामले देशभर में सामने आये हैं...

      नालंदा दर्पण डेस्क। साइबर फ्रॉड के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। पुलिसिया धर पकड़ के बीच साइबर अपराधी ठगी के नये-नये तरीके इजाद कर रहे हैं। साइबर ठगों के नये तरीकों ने पुलिस की भी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। साइबर ठगी को रोकने के लिए पुलिस लगातार अभियान चला रही है, लेकिन साइबर ठगी पर लगाम नहीं लग पा रही है।

      लोगों के बैंक अकाउंट खाली करने वाला गिरोह अब बदनाम इलाके से धीरे-धीरे दूर ग्रामीण इलाकों में शिफ्ट होते जा रहे हैं। नये तरीके यहीं से इजाद होते हैं और फिर अलग-अलग जगहों पर रह कर इनके लोग आम नागरिकों से ठगी करते हैं।

      साइबर फ्रॉड करने वाले गिरोह चार स्तरों पर काम करते हैं। साइबर अपराधी अपना पूरा कारोबार फोन के जरिये ही चलाते हैं। ठगी के तुरंत बाद फोन नंबर बंद कर दिया जाता है, ऐसे में इस काम के लिए सिम कार्ड की ज्यादा जरूरत पड़ती है। गिरोह के पहले गुट पर सिम कार्ड सप्लाइ की जिम्मेदारी होती है।

      अधिकांश सिम कार्ड ग्रामीण इलाकों से खरीदे जाते हैं। सिम कार्ड की सप्लाइ कमीशन के आधार पर की जाती है। फर्जी तरीके से सिम कार्ड खरीदने और उसे एक्टिव कराने के बाद यह गिरोह ठगों को कुरियर के जरिये इसे भेजते हैं।

      गिरोह में शामिल दूसरे गुट पर लोगों के नंबर और जानकारी निकालने की जिम्मेदारी रहती है। यह गुट फर्जी विज्ञापन, सोशल मीडिया वगैरह के सहारे आम नागरिकों से उसकी जानकारी जुटाता है। उनकी कोशिश मोबाइल नंबर, क्रेडिट या डेबिट कार्ड के डिटेल जुटाने की रहती है। फिशिंग मैसेज भेजने की जिम्मेदारी भी इसी गुट पर रहती है। जानकारी जुटाने के तुरंत बाद यह गुट सारा डेटा फोन कॉल करने वाले ठगों को दे देता है।

      गिरोह में आम लोगों से फोन लगाकर ठगी करने का काम सबसे मुख्य माना जाता है। फोन करने वाले ढंग सबसे पहले लोगों को उसके काम हो जाने का भरोसा देते हैं। इसके बाद उसके अकाउंट से पैसे ले उड़ते हैं। अकाउंट से फ्रॉड करने के तुरंत बाद साइबर ठग अपना फोन स्विच ऑफ कर देते हैं।

      साइबर ठग लगातार अपने ठगी के तरीके बदल रहे हैं। इसकी वजह से लोग इनके झांसे में आकर ठगी के शिकार हो जा रहे हैं तथा पुलिस को भी उन पर लगाम लगाने में परेशानी हो रही है। साइबर ठगों ने फ्रॉड का यह सबसे नया तरीका इजाद किया है, जिसमें जिन खाताधारकों के आधार एनेबल पेमेंट सिस्टम एक्टिव होता है, उनकी जानकारी निकाली जाती है।

      इसके बाद उसके अंगूठे के निशान यानी बायोमेट्रिक पहचान को क्लोन किया जाता है। क्लोन करने के बाद साइबर अपराधी आधार एनेबल पेमेंट सिस्टम के जरिए खाते से पैसे उड़ा लेता है। फिशिंग मैसेज के जरिये ठगी साइबर ठगों ने यह तरीका भी हाल ही में इजाद किया है।

      इसमें लोगों को बैंक या किसी सरकारी दफ्तर के हूबहू अकाउंट से मैसेज भेजता है, मैसेज के साथ एक लिंक इम्बेड रहता है, जिस पर लोगों से क्लिक करने के लिए कहा जाता है। इस लिंक पर क्लिक होने के तुरंत बाद मोबाइल फोन का सारा डेटा अपराधी के पास तुरंत चला जाता है, जिसके बाद अपराधी उसका उपयोग कर अकाउंट से पैसा निकाल लेता है।

      आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआइ ने मानव समाज में धीरे-धीरे पैठ बनानी शुरू कर दी है। साइबर ठग भी इसका इस्तेमाल जमकर कर रहे हैं। हाल में एआइ टूल के सहारे ठगी के कई मामले देशभर में सामने आये हैं।

      एआइ टूल के सहारे ठग को किसी व्यक्ति से ठगी करनी है, तो वह उसके परिचित व्यक्ति का वॉयस किसी प्लेटफॉर्म से निकाल लेता है और उसके सहारे एक गुहार लगाने का ऑडियो रिकॉर्ड करता है। फिर उसे व्हाट्सएप के माध्यम से भेजा जाता है।

      इसमें एक संदिग्ध अकाउंट नंबर भी रहता है, जिस पर तुरंत पैसे भेजने की अपील रहता है। रिमोट एप यानी स्क्रिन शेयर का सहारा साइबर ठगों का यह सबसे पॉपुलर तरीका है। ठग इस मॉड्यूल के जरिये जरूरतमंद लोगों के साथ ठगी करता है। कभी-कभी इ-कॉमर्स एप से परेशान लोग भी इनके रडार में होते हैं।

      सोशल मीडिया पर पोस्ट करने वाले लोगों से पहले फोन के जरिये संपर्क करता है और फिर उसे एनी डेस्क जैसे एप डाउनलोड करने के लिए कहता है। व्यक्ति जैसे ही एनी डेस्क एप डाउनलोड करता है, उसका मोबाइल ठग के कंट्रोल में चला जाता है।

      इसके बाद ठग व्यक्ति से उसके अकाउंट पर एक रुपये भेजने की बात करता है। इसी दौरान वह व्यक्ति का ओटीपी और पासवर्ड रिकॉर्ड कर लेता है। पासवर्ड रिकॉर्ड करने के बाद तुरंत फोन काट देता है और अकाउंट से पैसे क्रेडिट कर लेता है।

      डुप्लिकेट वेबसाइट या विज्ञापन के जरिये ठगी साइबर अपराधियों का नया और लेटेस्ट मॉड्यूल है। इसके जरिये साइबर अपराधी गूगल पर किसी वेबसाइट का हूबहू लिंक बनाकर शेयर कर देता है। लिंक पर जैसे ही लोग क्लिक करते हैं, वैसे ही उनका सारा डिटेल अपराधियों के पास चला जाता है। उस डिटेल के जरिये अपराधी खाते से पैसे निकाल लेता है। इसी तरह डुप्लिकेट विज्ञापन भी ठगी का माध्यम बना हुआ है।

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