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Wednesday, September 27, 2023
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    तापमान में उतार-चढ़ाव से धान के पौधों में खैरा रोग का बढ़ा खतरा, फसल को ऐसे बचाएं

    “धान में खैरा रोग केवल उस भूमि में ही उत्पन्न होता है, जिसकी मिट्टी में इस पोषक तत्व का अभाव होता है। यह रोग वहां भी पाया जाता है, जहां की मिट्टी में जिंक की उपस्थिति होने पर भी मृदा क्षारता या किसी अन्य कारणों से यह पोषण तत्व पौधों को उपलब्ध नहीं हो पाता हैं…

    करायपरसुराय (पवन कुमार)। धान की फसल इस समय खेतों में लहलहा रही है। उत्पादन कम होने का मुख्य कारण मानसून की अनिश्चितता व किसानों को सही तकनीकी की जानकारी का अभाव है।

    करायपरसुराय के किसान शेलेन्द्र कुमार, सुधीर प्रसाद, अयोध्या महतो, बेरथू के किसान राकेश कुमार मौर्या, राजबलभ यादव  ने कहा की धान की फसलों पर लगने वाले विभिन्न प्रकार के कीटों एवं रोगों का प्रकोप भी है। इन्हीं रोगों में से ही महत्वपूर्ण रोग है धान का खैरा रोग। इसके बचाव के किसानों को दवा का छिड़काव करना चाहिए।

    रोग के कारणः  यह रोग जिक की कमी के कारण होता है। जिक पौधों के लिए एक आवश्यक पोषक तत्व है तथा यह एन्जाइम का ही भाग होता है, जो प्रोटीन संश्लेषण एवं शर्कराओं के आक्सीकरण से संबंधित होता है।

    धान में खैरा रोग केवल उस भूमि में ही उत्पन्न होता है, जिसकी मिट्टी में इस पोषक तत्व का अभाव होता है। यह रोग वहां भी पाया जाता है, जहां की मिट्टी में जिंक की उपस्थिति होने पर भी मृदा क्षारता या किसी अन्य कारणों से यह पोषण तत्व पौधों को उपलब्ध नहीं हो पाता हैं।

    किसान ने बताई फसल की रोगः