इस्लामपुर (नालंदा दर्पण)। इस्लामपुर प्रखंड अंतर्गत कोचरा कुशवाहा भवन में विधिक सेवा प्राधिकार के तहत विधिक जागरुकता शिविर का आयोजन किया गया।
इस शिवर में पीएलवी आलोक कुमार ने सूचना अधिकार अधिनियम-2005 (आरटीआई) विषय पर जानकारी देते हुए कहा कि आरटीआई सूचना अधिकार अधिनियम का मुख्य उद्देश्य नागरिकों को सशक्त बनाना, सरकार की कार्यशैली मे पारदर्शिता और जबावदेही बढ़ाना, भ्रष्टाचार को रोकना तथा हमारे लोकतंत्र को सही मायने में लोगो के लिए कार्य करने वालो को बनाना है।
उन्होंने आरटीआई के तहत किसी भी प्रकार के नागरिकों को सशक्त संगठनों से जानकारी प्राप्त करने का अधिकार होता है। जनता को सूचना प्राप्त करने के लिए आरटीआई आवेदन दाखिल करने की सुविधा होती है। नागरिकों को सरकारी संगठन के राज्य या केंद्रीय स्तर पर अधारित कार्यालय को लिखित पत्र द्वारा आदेश देना होता है।
उन्होंने बताया कि यह अधिनियम वर्ष 2005 मे लागू हुआ था। उसके बाद नागरिक किसी भी सरकारी विभाग से जानकारी प्राप्त कर सकता है। ये अधिकार आम नागरिकों के पास है। जो सरकार के काम या प्रशासन के, कार्यो मे और भी पारदर्शिता लाने का काम करता है।
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ा कदम है। सरकार की सूचना से संबंधित जानकारियां गोपनीय जानकारी इस अधिकार के अंतर्गत नही आती है। हर सरकारी विभाग मे जन सूचना अधिकारी होता है। आप अपना आवेदन पत्र उसके पास जमा कर सकते है।
उन्होंने आवेदन पत्र पर भारतीय भाषा जैसे हिंदी, अंग्रेजी या किसी भी स्थानीय भाषा मे दिया जा सकता है। राइट टू एजुकेशन एक्ट कहता है।
उन्होंने कि देश के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने के लिए शिक्षा का अधिनियम एक्ट वर्ष 2009 में लाया गया। जिसमे 6 से 14 वर्ष के बच्चों को मुफ्त शिक्षा की गारंटी देता है। भारत की सासंद ने 4 अगस्त 2009 को अधिनियमित किया गया और 1 अप्रैल 2010 को भारत सहित 135 देशों में लागू हुआ। इसके बाद शिक्षा का मौलिक अधिकार प्राप्त है। जिनके पास शिक्षा का अधिकार अधिनियम एक महत्वपूर्ण कानून है। जो भारत की शैक्षणिक प्रणाली मे एक महत्वपूर्ण मोड़ का प्रतिनिधित्व करता है।
उन्होंने बताया कि इसके तहत एक बुनियादी अधिकार अधिनियम-2009 में बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा और अनुच्छेद 21 ए के तहत एक मौलिक अधिकार के रूप में लागू किया गया है। शिक्षा अधिकार अधिनियम बच्चों को निःशुल्क एंव अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम है। यह अधिनियम समाज से वंचित वर्गो के लिए 25 प्रतिशत आरक्षण का आदेश देता है। इस वंचित समूह में एससी एसटी शामिल है।
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