29.2 C
Bihār Sharīf
Sunday, December 3, 2023
अन्य

    राजगीर के वैभारगिरि पर है सर्पशौंडिक पब्हार, जहाँ भगवान बुद्ध का था निवास

    राजगीर (नालंदा दर्पण)। पंच पहाड़ियों से घिरा राजगीर प्राचीन धरोहरों की खान है। पुरातत्व की खोज एक टीम ने कई प्रमाणों के आधार पर वैभारगिरि पर सर्पशौडिक पब्हार (पहाड़) खोजने का दावा किया है। यह गर्म कुंड से लगभग डेढ़ किमी पश्चिम मार्क्सवादीनगर के निकट उत्तरी ढलान पर स्थित है। आधा पहाड़ चढ़ने के बाद यह मिलता है।

    फाह्यान और इत्सिंग सरीखे चीनी यात्रियों ने इसे खोजने की काफी कोशिश की थी। लेकिन, असफल रहे थे। कई पुस्तकों में वर्णन आलेखों के मुताबिक सर्पशौंडिक पब्हार के पास ही महात्मा बुद्ध का प्रिय स्थल शीतवन भी स्थित है।

    एक अध्ययन से यह पता चलता है कि ह्वेनसांग, राजगृह प्राचीन मगध सम्राज्य की राजधानी रही है। यहां काफी पुराने अवशेष मिलते रहते हैं। सर्पशौंडिक पहार की खोज करने वाले से मिलकर प्रमाण के आधार पर स्थल को देखा जाएगा।

    एंशिएंट ज्योग्राफी ऑफ इंडिया में महापरिनिर्वान सुत एवं विनय पिटक के हिन्दी अनुवाद के में इसका वर्णन है। भगवान बुद्ध ने इसे रमणीय स्थान कहा था। आचार्य बुद्धघोष ने सारत्थपकासिनी में इसकी चर्चा की है।

    संयुक्त निकाय के उपसेन सुत में कहा गया है कि एक बार धार्मिक कार्य से उपसेन वहां घूम रहे थे तो सांप ने उन्हें डंस लिया था और वहीं ढेर हो गये थे। उनका यह भी दावा है कि सर्पशौंडिक पब्हार व शीतवन के आस-पास होने के कई आलेख मिलते हैं।

    बौद्धिस्टों का सबसे पवित्र स्थल गृद्धकूट पर्वत के साथ ही शीतवन और सर्पशौंडिक पब्हार का काफी महत्व है। यहां भगवान बुद्ध अपने शिष्यों को दीक्षा देने के साथ ही खुद निवास करते थे।

    यह चट्टान पहाड़ के नीचे से ही सर्प के फन के आकार का दिखता है। फननुमा शिला की ऊंचाई 50-60 फीट है। नीचे इसकी चौड़ाई 12 फीट है। जबकि, फन के समीप इसकी चौड़ाई 15-16 फीट है। उत्तर-पश्चिम कोण दिशा की तरफ यह शिला है।

    राजगीर सूर्य कुंड के जल से बनता है खरना का प्रसाद, सांध्य अर्ध्य बाद होती है गंगा आरती

    सिर्फ कागज पर रेफरल अस्पताल में परिवर्तित हुआ चंडी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र !

    एकंगरसराय प्रखंड में जिला प्रशासन द्वारा किया गया जन संवाद कार्यक्रम

    आग जनित दुर्घटनाओं से बचने के लिए नुक्कड़ नाटक का आयोजन

    चंडी का माधोपुर बना ‘मिनी रेगिस्तान’, रेत के साये में बीत रही जिंदगी

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here

    This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

    विज्ञापित

    error: Content is protected !!