बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा विश्वविद्यालय में प्रसिद्ध ईरानी संगीतकार फरमान फतेहलियन की सांगीतिक प्रस्तुति के साथ इंडो-फारसी अध्ययन केंद्र का उद्घाटन किया गया। सुषमा स्वराज सभागार में आयोजित यह कार्यक्रम बुद्ध पूर्णिमा के शुभ दिन पर आयोजित किया गया था।
इस मौके पर नालंदा विश्वविद्यालय के अंतरिम कुलपति प्रो. अभय कुमार सिंह ने इस नए केंद्र के महत्व को बताते हुए कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय का इंडो-फारसी अध्ययन केंद्र भारत और फारस की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहरों के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करेगा।
इससे विषयगत विद्वानों के बीच सहयोगात्मक अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा। ईरान से आए फारमन फथलियन द्वारा आज की सांगीतिक प्रस्तुति भी भारत व ईरान के बीच कला जगत के क्षेत्र में हमारे समृद्ध संबंधों को प्रदर्शित करती है।
नालंदा के इस इंडो-फारसी अध्ययन केंद्र का उद्देश्य भारत और ईरान के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों का अन्वेषण और संवर्धन करना है, जिससे भारतीय व फारसी के साहित्य, कला और इतिहास के क्षेत्र में शैक्षणिक कार्यक्रम और अनुसंधान को प्रोत्साहन मिलेगा।
गौरतलब है कि संगीतकार फरमान फतेहलियन को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर प्रसिद्ध भजन ‘वैष्णव जन तो’ गाने के लिए जाना जाता हैं। इस गायन के लिए उन्हें तत्कालीन विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज द्वारा सम्मानित भी किया गया था।
फरमान फतेहलियन ने अपने गायन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी प्रस्तुति में विभिन्न प्रकार की आध्यात्मिक संगीत की रचनाएं शामिल थीं। इस समारोह में नालंदा के प्राध्यापक, विशिष्ट अतिथि और विश्वविद्यालय में अध्ययनरत विभिन्न देशों के छात्रों मौजूद रहे।
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